शिमला: नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार द्वारा खेल के मैदानों और उपकरणों के उपयोग पर पैसे लेने के फैसले को शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि विवादित टॉयलेट टैक्स के बाद, सरकार अब ‘खेल-खिलाड़ी टैक्स’ योजना लेकर आई है, जिसमें खेल और खिलाड़ियों पर टैक्स लगाया जा रहा है। शिमला में दिए बयान में ठाकुर ने कहा कि हर दिन हिमाचल प्रदेश के लोगों पर नया टैक्स लगाया जा रहा है, जिससे ऐसा लगता है कि सरकार टैक्स लगाने की होड़ में लगी हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री जनकल्याणकारी राज्य की नीतियों को भूल चुके हैं। समाज के विभिन्न वर्गों को परेशान करने के बाद अब सरकार का ध्यान खेल और खिलाड़ियों को बोझ डालने पर है। ठाकुर ने केंद्र सरकार के खेलो इंडिया कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार खेल को प्रोत्साहन देने के लिए हर साल बड़ा बजट खर्च करती है, जबकि कांग्रेस की सुक्खू सरकार खेल और खिलाड़ियों पर टैक्स लगाकर उन्हें प्रदेश की आय का साधन बना रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार पहले ही अंडर-12 टूर्नामेंटों को रद्द कर चुकी है और हर स्तर पर खेलों को हतोत्साहित कर रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार का यह फैसला अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों के ट्रायल के लिए मैदान का दस हजार रुपए किराया मांगा जा रहा है, जिससे आयोजन मुश्किल हो रहा है। ठाकुर ने आग्रह किया कि मुख्यमंत्री को खेल और खिलाड़ियों पर टैक्स लगाने से बचना चाहिए और उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।