हिमाचल विधानसभा में आपदा पर गर्मागर्म बहस! विधायक ने किया बड़ा ऐलान—अब सिर्फ 1 रुपया लेंगे वेतन

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आपदा राहत का मुद्दा सबसे ज्यादा छाया रहा। सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। इसी दौरान भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि राज्य की आर्थिक हालत सुधरने तक वह केवल 1 रुपया वेतन लेंगे। उनके इस कदम का स्वागत सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने किया।

राणा ने कहा कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था बेहद कठिन दौर से गुजर रही है और ऐसे समय में सरकार को आय बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो सकता तो फिर खर्च कम करने होंगे। उन्होंने कहा कि हिमाचल पर बढ़ते कर्ज ने हालात बिगाड़ दिए हैं और इसके लिए सभी पूर्व और वर्तमान सरकारों द्वारा लिए गए कर्ज का पूरा ब्यौरा सामने आना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2023 की आपदा से उनके क्षेत्र की कई पंचायतों में अभी तक मलबा साफ नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि 4,500 करोड़ के राहत पैकेज का क्या हुआ और 2,900 टेंडरों में भ्रष्टाचार क्यों हो रहा है।

वहीं संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने राणा की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि स्थिति वाकई चिंताजनक है और अब आय के नए स्रोत खोजने होंगे। उन्होंने धारा 118 को भ्रष्टाचार का स्त्रोत बताते हुए कहा कि पिछली सरकारें भी इस पर कुछ कदम उठाना चाहती थीं।

बहस की शुरुआत भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने की। उन्होंने कहा कि आपदा राहत कार्यों में सरकार उतनी सक्रिय नहीं दिखाई दी, जितनी जरूरत थी। कई क्षेत्रों में आज भी जनजीवन प्रभावित है। उन्होंने आरोप लगाया कि मलबा नदी-नालों में डालने से बांधों का जलस्तर बढ़ रहा है, जिससे आगे गंभीर दिक्कतें आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि नाबार्ड को भेजे गए प्रस्ताव पिछले तीन वर्षों से लगातार वापस लौट रहे हैं।

परमार ने यह भी आरोप लगाया कि आपदा राहत कार्यों में लगे अधिकारियों से सरकार कोई व्यापक रिपोर्ट नहीं ले रही। उन्होंने बताया कि भाजपा शासित राज्यों हरियाणा, यूपी और त्रिपुरा ने हिमाचल को राहत सामग्री और 5-5 करोड़ भेजे थे, लेकिन कई तहसीलों को अभी तक राहत राशि नहीं मिली। इस पर राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि 2023 की आपदा के दौरान विपक्ष की मांग पर ही विधानसभा सत्र बुलाया गया था, लेकिन विपक्ष ने प्रस्ताव पर हिस्सा नहीं लिया।

विधायक भुवनेश्वर गौड़ ने कहा कि इस बार की आपदा ने मनाली की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़कें टूटने से पर्यटक नहीं आ सके। उन्होंने मांग की कि जिन लोगों की जमीन बारिश में बह गई है, उन्हें दूसरी जगह जमीन दी जाए और ब्यास नदी से मलबा हटाने की व्यवस्था की जाए।

विधायक अनुराधा राणा ने बताया कि उनके क्षेत्र में 80 प्रतिशत फसलें नष्ट हो चुकी हैं और लाहौल-स्पीति में 18 करोड़ का नुकसान हुआ है। उन्होंने केसीसी ऋण माफी का मुद्दा केंद्र के सामने उठाने और एफसीए में अटकी जमीनों का मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने राहत राशि में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की है।

विधायक विनोद कुमार ने सरकार के 3 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे जश्न पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जब सड़कें टूटी हैं, पानी की योजनाएं बंद हैं और गारंटी पूरी नहीं हुईं, तब जश्न मनाने का क्या औचित्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि जश्न पर होने वाला खर्च आपदा राहत में लगाया जाना चाहिए।

विधायक नीरज नैय्यर ने कहा कि उनके क्षेत्र में कई घर खाई में लटके हुए हैं और उन्हें भी 7 लाख की राहत मिलनी चाहिए। वहीं विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि बंजार में आपदा के बाद 415 मकान पूरी तरह और 812 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, लेकिन अभी तक न सीएम आए और न कोई मंत्री। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रस्तावों को प्राथमिकता दी जा रही है।

विधायक कैप्टन रणजीत राणा ने कहा कि इस सरकार ने आपदा राहत में बेहतर काम किया, जबकि कोविड काल में पिछली सरकार में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। इस पर विपक्ष ने सदन में हंसी-ठहाके का माहौल बना दिया।

चर्चा के अंत में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि केंद्र की टीम ने 2023 की आपदा में 9,300 करोड़ का नुकसान आंका था, लेकिन अब तक पीडीएनए के सिर्फ 451 करोड़ ही मिले हैं। सरकार अपने संसाधनों से राहत देने में जुटी है। उन्होंने यह भी कहा कि बंजार में आग लगने की घटना के दौरान मंत्री मौके पर मौजूद थे और वे खुद भी वहां एक रात रुके थे।

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