भरमौर हलके की ग्राम पंचायत बलोठ और खुंदेल में भारी बारिश ने कहर बरपाया है। जगह-जगह अस्थायी पुल ढह जाने से करीब एक दर्जन गांवों का बाकी दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट गया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोगों को अब जरूरी सामान के लिए भी चिंता सताने लगी है।
इन इलाकों में लगातार हो रहे भूस्खलन से पहले भी लोगों को कई बार नुकसान झेलना पड़ा है, लेकिन अब मामला और गंभीर हो गया है। इस बार करीब 50 घर इसकी चपेट में आ गए हैं। बावजूद इसके, सरकार, प्रशासन और स्थानीय नेता अभी तक आंखें मूंदे बैठे हैं।
लगातार भूस्खलन, गांवों में दहशत का माहौल
पंचायत प्रधान देव राज ने बताया कि पिछले कई सालों से यह इलाका भूस्खलन की चपेट में है। अब हालात ऐसे बन गए हैं कि एक गांव के चार परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करना पड़ा।
बिजली के खंभे, पेयजल लाइनें और लोक निर्माण विभाग की सड़कें—सबकुछ तबाह हो गया है।
नाले में पुलिया बहने से कलॉस, अहलमी समेत करीब एक दर्जन गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है।
वहीं, गिरते पत्थरों की चपेट में आकर एक बैल की मौत हो गई है। गांवों के छह रास्ते पूरी तरह बंद हो गए हैं, जिससे न तो बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं और न ही लोग राशन या दवाइयां लेने बाजार जा पा रहे हैं।
“कब जागेगा प्रशासन?” – प्रधान ने जताई नाराजगी
देव राज ने कहा, “लोग रातें डर-डर के बिता रहे हैं। जान हमेशा खतरे में रहती है। क्या यहां भी मंडी के सिराज जैसी कोई बड़ी त्रासदी होगी तभी सरकार जागेगी?”
उन्होंने सरकार और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है ताकि हालात और ना बिगड़ें।
राख गुराडा संपर्क मार्ग भी हुआ बंद, कोई रास्ता नहीं बचा
इधर, राख गुराडा संपर्क मार्ग के पूरी तरह टूट जाने से पूरी पंचायत और सामरा क्षेत्र जिला मुख्यालय से कट चुका है।
भूस्खलन इतना भयानक था कि 20 मीटर लंबे हिस्से में सिर्फ क्रैश बैरियर हवा में लटकते रह गए हैं।
गिरते पत्थर सीधे चमेरा चरण-दो बांध स्थल पर गिरे, जिससे आंशिक नुकसान भी हुआ है।
इस वक्त हालात बेहद गंभीर हैं और लोग प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। ग्रामीणों की यही मांग है – अब और इंतजार नहीं, जल्द से जल्द राहत और पुनर्निर्माण कार्य शुरू हो।
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