हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली खबर सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को शोक में डुबो दिया है। डोहगी पंचायत के रहने वाले सुरेंद्र कुमार ने बुधवार और गुरुवार की दरम्यानी रात अपनी लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उनके इस अचानक और चौंकाने वाले कदम के बाद, उनकी पत्नी रेशमा देवी भी मानसिक सदमे में चली गईं और शुक्रवार रात इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।

जानकारी के अनुसार, रेशमा देवी काफी समय से मानसिक परेशानी से जूझ रही थीं और सुरेंद्र कुमार ही उनकी देखभाल करते थे। वह न केवल उनके पति थे, बल्कि उनका संबल भी थे। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, सुरेंद्र अपनी पत्नी की हालत को लेकर हमेशा चिंतित रहते थे और उन्हें अकेला नहीं छोड़ते थे। दोनों के बीच गहरा लगाव था और यह भी बताया जा रहा है कि पत्नी की बिगड़ती हालत सुरेंद्र के मानसिक तनाव का कारण बन रही थी।
गुरुवार को जब सुरेंद्र कुमार का शव घर लाया गया, तो पत्नी रेशमा देवी जैसे ही पति को देखीं, वह वहीं बेसुध होकर गिर पड़ीं। परिजन उन्हें तुरंत बंगाणा अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ऊना रेफर किया गया। शुक्रवार शाम तक उनकी हालत थोड़ी स्थिर बताई जा रही थी, लेकिन देर रात अचानक तबीयत बिगड़ गई और उन्होंने भी दुनिया को अलविदा कह दिया।
इस दोहरी त्रासदी ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डुबो दिया है। सबसे ज्यादा मार सुरेंद्र कुमार की 90 वर्षीय बुजुर्ग मां रमी देवी पर पड़ी है, जिन्होंने पहले ही अपने पति को खो दिया था और अब अपने बेटे और बहू को 24 घंटे के भीतर खोने का ग़म सहना पड़ा। रमी देवी गहरे शोक में हैं और बार-बार बस यही कह रही थीं, “हे भगवान, तूने मेरा सब कुछ छीन लिया, अब मुझे भी बुला ले।”
सुरेंद्र और रेशमा अपने पीछे चार बच्चों को छोड़ गए हैं—दो बेटे और दो बेटियां। इनमें से एक बेटा अभी अविवाहित है, जबकि बाकी शादीशुदा हैं। यह परिवार, जो कल तक एक साथ था, आज बिखर गया है। पूरे गांव में मातम का माहौल है और हर कोई इस दुखद घटना से स्तब्ध है।
यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत क्षति नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कितना खतरनाक हो सकता है।
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