मंडी जिले के कोटली उपमंडल के कोट तुंगल गांव की सिमरन भारद्वाज ने भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट बनकर क्षेत्र और परिवार का नाम रोशन कर दिया है। खास बात यह है कि सिमरन ने देश सेवा के अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए गुरुग्राम की एक कंपनी में 12 लाख रुपये वार्षिक पैकेज वाली नौकरी छोड़ने में भी देर नहीं लगाई। सिमरन अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं, जो सेना में शामिल हुई हैं। उनके दादा लाला राम भारद्वाज 14 डोगरा में हवलदार जबकि पिता धर्मपाल भारद्वाज डोगरा स्काउट से सेवानिवृत्त हैं।
सिमरन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोट के एक निजी स्कूल और योल कैंट के केंद्रीय विद्यालय से हासिल की। इसके बाद उन्होंने एनआईटी हमीरपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। डिग्री के बाद उन्होंने दो साल तक मारुति कंपनी में कार्य किया, लेकिन इस दौरान भी उनका फोकस सेना में शामिल होने पर ही रहा। वर्ष 2024 में उन्होंने एसएसबी परीक्षा उत्तीर्ण की और दिसंबर 2024 में प्रशिक्षण का पत्र प्राप्त हुआ। जनवरी 2025 में केरल स्थित भारतीय नौसेना अकादमी में उनका कठिन प्रशिक्षण शुरू हुआ, जो 30 नवंबर 2025 को पूरा हुआ। इसके बाद सिमरन का चयन लेफ्टिनेंट पद पर हुआ।
कोटली पहुंचने पर ग्रामीणों और परिजनों ने सिमरन का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर सिमरन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा-पिता और पूरे परिवार को देते हुए कहा कि जीवन में एक बार लक्ष्य तय कर लें, फिर लगातार उसी पर ध्यान केंद्रित रखें, सफलता निश्चित मिलेगी। सिमरन के पिता धर्मपाल भारद्वाज ने कहा कि उनकी बेटी ने पूरे परिवार का मान बढ़ाया है और उसकी उपलब्धि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है।
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