शिमला की पुरानी रियासत घूंड के प्रमुख लोक देवता शिरगुल महाराज 18 वर्ष बाद बद्रीनाथ और केदारनाथ की डेढ़ महीने लंबी यात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा 25 अप्रैल से शुरू हुई है। इस पदयात्रा में 15 यात्री शामिल हैं जो पैदल चलते हैं, जबकि दो लोग वाहन में यात्रा कर रहे हैं और भोजन आदि की व्यवस्था संभालते हैं। यात्रा की शुरुआत घाट में दो दिन रुकने के बाद चरैण और फिर भेखलटी से होती हुई रिज मैदान तक पहुंची। इसके बाद यह संकटमोचन मंदिर के लिए रवाना हुई।
संकटमोचन मंदिर में शिमला में रहने वाले घूंड के लोगों की ओर से भंडारे का आयोजन किया गया। यात्रा में शामिल सभी लोगों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था इन्हीं लोगों द्वारा की गई है। संकटमोचन मंदिर से यह यात्रा बुधवार को आगे बढ़ेगी और कंडाघाट में रुकेगी। इसके बाद यात्रा धर्मपुर और फिर पिंजौर पहुंचेगी। पिंजौर में देवता को एक प्राकृतिक बावड़ी में स्नान कराया जाएगा।
इसके बाद यात्रा हरिद्वार जाएगी और वहां से बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन करेगी। यात्रा पूरी होने के बाद यह उत्तराखंड से होते हुए तिउणी और हाटकोटी पहुंचेगी। अंतिम चरण में यह यात्रा मंदिर लौटेगी, जहां एक बड़ा महायज्ञ किया जाएगा। मान्यता है कि शिरगुल महाराज शैव परंपरा के देवता हैं और जब भी मंदिर में कोई बड़ा कार्य होता है या शांति हेतु पूजा होती है, तो वे बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा करते हैं।
For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!
Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!