30 जून को आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद सराज क्षेत्र के 115 गांवों में अंधेरा छा गया था। लेकिन अब राहत की खबर है—हिमाचल प्रदेश विद्युत बोर्ड की मेहनत रंग लाई और 107 गांवों में फिर से बिजली लौट आई है। विभाग ने बेहद कठिन हालातों में काम कर जो कर दिखाया, वो किसी मिसाल से कम नहीं है।
16 करोड़ का नुकसान, लेकिन नहीं थमी बहाली की रफ्तार
मुख्य अभियंता रजनीश ठाकुर ने बताया कि इस आपदा में बिजली व्यवस्था को करीब 16 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। बावजूद इसके, बोर्ड की टीम ने दिन-रात मेहनत कर 62,800 मीटर नई लाइन बिछा दी और 684 में से 502 बिजली के खंभे फिर से खड़े कर दिए।
इन गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान, लेकिन अब लौट आई रौशनी
थुनाग, शरन, सरैली, कथ्याली, धंशाल, खेल्धार, झुघांद, खुनागी, संगलवाड़ा, जरोल, चिउनी, चेत, घियार, दोभा, गुनास, शिकावरी, तुंगाधार, बेहल थाच, बदीन, बारा और औहन जैसे गांवों में बिजली पूरी तरह से ठप हो गई थी। लेकिन स्थानीय लोगों के सहयोग से यहां दोबारा व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई। बिजली लौटने पर लोगों के चेहरों पर जो राहत थी, वो देखने लायक थी। गांववालों ने विद्युत बोर्ड की टीम का दिल से आभार जताया और खुद भी बहाली कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
ट्रांसफार्मर और पोल ऐसे पहुंचे गांवों तक—कंधों पर!
आपदा में 55 ट्रांसफार्मर खराब हो गए थे, जिनमें से 36 अब तक ठीक कर दिए गए हैं। मुश्किल यह थी कि कई गांवों तक सड़क से पहुंचा ही नहीं जा सकता था। ऐसे में स्थानीय लोगों और मजदूरों ने मिलकर करीब 400-500 किलो वजनी 16 ट्रांसफार्मर कंधों पर उठाकर नाले-पहाड़ पार करके गांवों तक पहुंचाए। यही नहीं, बिजली के पोल भी करीब 4.5 किलोमीटर तक उठाकर ले जाए गए।
अब सिर्फ 8 गांव बाकी, 10 अगस्त तक सब रोशन
मुख्य अभियंता ठाकुर ने कहा कि अब सिर्फ 8 गांवों में बिजली बहाल करना बाकी है और ये काम 10 अगस्त से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इस पूरे ऑपरेशन में 16 अधिकारी-कर्मचारी और 170 मजदूर लगातार जुटे रहे। दिन-रात मेहनत करके उन्होंने एक असंभव से लगने वाले काम को मुमकिन बना दिया।
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