30 जून की रात को आई भारी बारिश और उसके बाद उत्पन्न हुई जल प्रलय ने सराज विधानसभा क्षेत्र के जनजीहली इलाके में भारी तबाही मचाई। इस आपदा ने बियोड गांव के दो भाइयों—भूपेंद्र कुमार बंटी और उनके छोटे भाई किरन कुमार—की वर्षों की मेहनत और करोड़ों की पूंजी को पल भर में खत्म कर दिया। भूपेंद्र कुमार का ‘सिया हार्डवेयर’ के नाम से एक बड़ा कारोबार था, जबकि किरन कुमार ‘के.के. एग्रो इंटरप्राइजिज’ नाम से हार्डवेयर और कृषि उपकरणों का शोरूम चलाते थे।
इन दोनों भाइयों के शोरूम में टाइल्स, सीमेंट, सरिया, ग्रेनाइट, मार्बल और कृषि से जुड़ी 3 से 4 करोड़ रुपये की मशीनरी और अन्य सामग्री रखी हुई थी। लेकिन 30 जून की रात आई आपदा ने इनका सब कुछ तबाह कर दिया। दुकानें पूरी तरह बह गईं और लाखों-करोड़ों का सामान बर्बाद हो गया।

सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि सरकार की तरफ से इन दोनों भाइयों को राहत के नाम पर मात्र 5-5 हजार रुपये की सहायता दी गई। भूपेंद्र कुमार और किरन कुमार का कहना है कि उनके ऊपर करोड़ों रुपये का बैंक कर्ज है, और अब कारोबार पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। दोनों अब किसी मदद की उम्मीद में दिन काट रहे हैं।
इसी तरह प्रकाश ठाकुर नाम के स्थानीय दुकानदार की करियाने की दुकान भी इस आपदा में पूरी तरह तबाह हो गई, जिससे उन्हें भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। थुनाग क्षेत्र के अन्य कई दुकानदारों की भी यही स्थिति है, जिन्हें 75 लाख से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक का नुकसान झेलना पड़ा है।
स्थानीय व्यापारी आज भी सरकार की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं कि कब कोई मदद मिलेगी। लेकिन अब तक जो राहत दी गई है, वह इस भारी नुकसान के सामने ऊंट के मुंह में जीरा जैसी महसूस हो रही है। लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से न तो पर्याप्त सहायता मिली है और न ही कोई स्थायी समाधान नजर आ रहा है। अब सभी को इंतजार है कि कब सरकार इस आपदा को गंभीरता से लेकर पीड़ितों की सही मायनों में मदद करेगी।
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