Sirmaur: राजगढ़ में आरटीओ की सख्त कार्रवाई: 150 वाहनों की जांच, 38 चालान और ₹1.17 लाख जुर्माना

ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में यातायात नियमों की अनदेखी पर चला हंटर

जिला सिरमौर के राजगढ़ क्षेत्र में रविवार का दिन आम दिनों से अलग रहा। छुट्टी के दिन जब अधिकांश लोग आराम कर रहे थे, तब आरटीओ सोना चंदेल अपनी टीम सहित क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में वाहनों की जांच करने पहुंचीं। इस विशेष अभियान के दौरान करीब 150 वाहनों की गहन जांच की गई, जिसमें निजी बसें, ट्रक और पिकअप शामिल रहे।

जांच के दौरान नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की गई। कुल 38 वाहनों के चालान किए गए और उनसे ₹1,17,500 का जुर्माना वसूला गया। सबसे अधिक मामले उन वाहनों के सामने आए जो बिना फिटनेस और परमिट के सड़क पर दौड़ रहे थे।

दुर्गम इलाकों में बस कंडक्टरों पर शिकंजा

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इलाके की कई निजी बसों में कंडक्टर यात्रियों को टिकट नहीं दे रहे थे। यह सीधे तौर पर यातायात और परिवहन नियमों का उल्लंघन है। मौके पर ही आरटीओ ने संबंधित कंडक्टरों को कड़ी चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ऐसा दोबारा पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आरटीओ का यह कदम खास महत्व रखता है क्योंकि पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में अक्सर परिवहन सेवाओं में लापरवाही देखने को मिलती है। यात्री टिकट न मिलने की स्थिति में किसी दुर्घटना या बीमा दावे के समय कानूनी अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।

टीम की मुस्तैदी और घंटों चला अभियान

यह विशेष अभियान केवल औपचारिकता नहीं था, बल्कि कई घंटों तक लगातार जांच-पड़ताल चलती रही। आरटीओ सोना चंदेल के साथ उनकी टीम के सदस्य संदीप, देवेंद्र, राजेश और थानेश भी मौजूद रहे। नाहन से लगभग 100 मीटर दूर इस चेकिंग पॉइंट पर वाहनों को रोका गया और दस्तावेजों की गहन जांच की गई।

इस दौरान टीम ने नियमों का पालन न करने वाले चालकों और वाहन मालिकों को मौके पर ही जुर्माने का भुगतान करने के निर्देश दिए। वहीं, कई वाहनों को आवश्यक दस्तावेज पूरे करने के लिए समयबद्ध नोटिस भी दिए गए।

जनता को अपील: यातायात नियमों का पालन करें

आरटीओ सोना चंदेल ने कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच के दौरान सबसे बड़ी समस्या बिना फिटनेस और परमिट वाले वाहन तथा टिकट न देने वाले कंडक्टर पाए गए। उन्होंने दोहराया कि यह न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है।

उन्होंने सभी वाहन चालकों और मालिकों से अपील की कि वे यातायात नियमों का पालन करें और सुनिश्चित करें कि उनके वाहन कानूनी तौर पर मान्य और सुरक्षित हों। आरटीओ ने यह भी साफ किया कि आगे भी इस तरह की चेकिंग अभियान नियमित रूप से जारी रहेंगे।

क्यों जरूरी है ऐसी कार्रवाई?

1. यात्रियों की सुरक्षा: बिना फिटनेस वाले वाहन सड़क पर खतरे का कारण बनते हैं। ब्रेक, इंजन या अन्य तकनीकी खराबी कभी भी हादसा करा सकती है।

2. बीमा और कानूनी अधिकार: यदि यात्री को टिकट नहीं दिया जाता, तो दुर्घटना की स्थिति में उसे बीमा या मुआवजा पाने में कठिनाई होती है।

3. सड़क सुरक्षा में सुधार: नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना लगाने से अन्य चालक भी सतर्क रहते हैं और सड़क सुरक्षा बढ़ती है।

4. सरकारी राजस्व: चालान और जुर्माना राज्य सरकार की आमदनी में भी इजाफा करते हैं, जिससे आगे और विकास कार्य हो सकते हैं।

ग्रामीण इलाकों में बड़ी चुनौती

राजगढ़ जैसे दुर्गम इलाकों में अक्सर परिवहन नियमों की अनदेखी की जाती है। यहां लोग मानते हैं कि प्रशासनिक टीमें इतनी दूर तक नहीं पहुंचेंगी। लेकिन इस कार्रवाई ने यह साफ कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है और चाहे क्षेत्र कितना भी दूर क्यों न हो, जांच से बचना संभव नहीं है।

अक्सर ग्रामीण यात्री टिकट न मिलने पर चुप रह जाते हैं क्योंकि वे शिकायत करने से हिचकिचाते हैं। इस बार जब आरटीओ ने खुद मौके पर यह स्थिति देखी, तो तुरंत सख्त चेतावनी जारी की। इससे निजी बस ऑपरेटरों और कंडक्टरों को भी स्पष्ट संदेश गया है।

आने वाले समय में संभावित असर

• निजी बस ऑपरेटर ज्यादा सतर्क रहेंगे ताकि उन पर कार्रवाई न हो।

• यात्री टिकट लेना सुनिश्चित करेंगे, क्योंकि अब प्रशासन की सख्ती से उन्हें भी जागरूकता मिली है।

• वाहनों की तकनीकी जांच (फिटनेस) को लेकर और सख्ती आ सकती है।

• भविष्य में इस तरह के अभियानों से सड़क हादसों में कमी आने की संभावना है।

यातायात नियम तोड़ने के आम मामले

इस कार्रवाई के दौरान सामने आए कुछ आम उल्लंघन इस प्रकार रहे:

• बिना फिटनेस और परमिट के वाहन चलाना।

• यात्रियों को टिकट न देना।

• ओवरलोडिंग (कुछ वाहनों में यात्रियों की संख्या निर्धारित सीमा से अधिक थी)।

• सीट बेल्ट और हेलमेट जैसे नियमों की अनदेखी।

इन सभी मामलों पर आरटीओ टीम ने मौके पर चालान और जुर्माने की कार्रवाई की।

निष्कर्ष

राजगढ़ में रविवार को हुई यह चेकिंग सिर्फ एक प्रशासनिक कदम नहीं थी, बल्कि यह संदेश था कि यातायात नियमों से खिलवाड़ अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आरटीओ सोना चंदेल और उनकी टीम की इस पहल से साफ है कि आने वाले दिनों में हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में भी परिवहन नियमों पर सख्ती देखने को मिलेगी।

लोगों के हित और सुरक्षा के लिए जरूरी है कि हर यात्री टिकट ले, हर चालक फिटनेस और परमिट पूरे रखे, और सभी नागरिक यातायात नियमों का पालन करें। यह न केवल प्रशासनिक मजबूरी है, बल्कि हमारी और आपके जीवन की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा भी है।

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