हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले में पंडोह के समीप स्थित दयोड़ गांव का एक निवासी, पंछी राम, बीते दो वर्षों से अपनी धंसती जमीन को बचाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है। पंछी राम का कहना है कि उसने अपनी जमीन की समस्या को लेकर पटवारी से लेकर तहसीलदार तक, एनएचएआई अधिकारियों से लेकर जिला और उपमंडलीय प्रशासन तक, सभी के दरवाज़े खटखटाए, लेकिन आज तक उसकी जमीन को बचाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

यह पूरा मामला उस समय शुरू हुआ जब दयोड़ गांव के पास पंछी राम की निजी जमीन के समीप एनएचएआई ने टनल निर्माण के लिए एक सड़क बनाई। सड़क निर्माण के बाद से ही जमीन धीरे-धीरे धंसने लगी। पंछी राम के अनुसार, सड़क की कटाई और भारी निर्माण कार्य के कारण उनकी जमीन कमजोर हो गई और अब लगातार नीचे धंस रही है। पंछी राम ने अपनी जमीन की सुरक्षा के लिए एक स्थायी सुरक्षा दीवार बनाए जाने की मांग की है, ताकि उसका बचा हुआ हिस्सा सुरक्षित रह सके।
पंछी राम का कहना है कि वह अपनी जमीन पर घर बनाना चाहता था, लेकिन जमीन की हालत देखकर अब वहां रहना भी खतरे से खाली नहीं है। वे बताते हैं कि प्रशासन के कई अधिकारी मौके पर निरीक्षण करने भी आए, लेकिन केवल कागजी कार्रवाई करके लौट गए। आज तक जमीन को बचाने के लिए न तो कोई निर्माण कार्य हुआ है और न ही सुरक्षा दीवार बनाई गई है।

इस विषय में जब एनएचएआई प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि कोई शिकायत औपचारिक रूप से उनके पास आती है तो वे नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
पंछी राम की यह कहानी केवल एक व्यक्ति की समस्या नहीं, बल्कि यह दर्शाती है कि विकास कार्यों के नाम पर आम लोगों की ज़मीनें कैसे प्रभावित हो रही हैं और उनकी समस्याओं को किस तरह नजरअंदाज़ किया जा रहा है। दो वर्षों से लगातार गुहार लगाने के बावजूद कोई समाधान न निकलना प्रशासनिक उदासीनता की ओर इशारा करता है। पंछी राम अब भी आशा लगाए बैठे हैं कि शायद किसी दिन उनकी बात सुनी जाएगी और उनकी जमीन को धंसने से रोका जा सकेगा।
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