भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ अब भी खेती-किसानी पर टिकी हुई है। किसानों की आय बढ़ाना, उन्हें बेहतर सुविधाएँ देना और कृषि को आधुनिक तकनीकों से जोड़ना वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बन चुकी है। इसी दिशा में नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन कृषि रबी अभियान 2025 का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन 16 और 17 सितंबर 2025 को आयोजित हुआ, जिसमें कृषि सुधार, किसान कल्याण और नीति कार्यान्वयन पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन का नेतृत्व केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया। इसमें देशभर के कृषि मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए। सम्मेलन का उद्देश्य आगामी रबी सत्र की तैयारियों, किसानों की आय बढ़ाने की रणनीतियों और कृषि क्षेत्र में नई नीतियों को लागू करने पर केंद्रित रहा।
सम्मेलन के प्रमुख मुद्दे
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें शामिल थे:
1. फसल बीमा को सशक्त बनाना – किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और अनिश्चित मौसम से होने वाले नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करने के लिए फसल बीमा योजनाओं को और अधिक पारदर्शी व मजबूत बनाने पर जोर दिया गया।
2. नकली कृषि इनपुट्स पर कार्रवाई – नकली बीज, उर्वरक और कीटनाशकों की समस्या को खत्म करने के लिए सख्त कानून और निगरानी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया गया।
3. कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) को सशक्त करना – किसानों को तकनीकी जानकारी, आधुनिक खेती की विधियों और प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए KVKs को और अधिक संसाधन और अधिकार देने पर सहमति बनी।
4. कृषि संकल्प अभियान 2025 की शुरुआत – यह अभियान 3 अक्टूबर 2025 से पूरे देश में चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों को नई योजनाओं, तकनीकों और अवसरों से जोड़ना है।
हिमाचल प्रदेश की ओर से रखे गए सुझाव
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने इस सम्मेलन में राज्य का पक्ष मजबूती से रखते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
• उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश विभिन्न एग्रो-क्लाइमेटिक जोन में बंटा हुआ है और हर फसल की अलग-अलग जलवायु आवश्यकताएँ होती हैं। इसलिए सूक्ष्म स्तर तक योजनाएँ बनाना बेहद जरूरी है।
• उन्होंने किसानों को परिशुद्ध खेती (Precision Farming) से जोड़ने पर जोर दिया, ताकि कम संसाधनों में अधिक उत्पादन संभव हो सके।
• किसानों की आय बढ़ाने के लिए आलू, लहसुन, हल्दी, फलदार फसलें और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही।
किसानों के लिए नई संभावनाएँ
प्रो. चंद्र कुमार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि:
1. कालका से किसान ट्रेन चलाई जाए, जिससे किसान अपनी फसलें जल्दी और कम लागत पर बाजार तक पहुँचा सकें।
2. प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलों का MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय किया जाए, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
हिमाचल प्रदेश पहले से ही प्राकृतिक खेती की दिशा में बड़ा कदम उठा चुका है और यह भारत का पहला राज्य है जिसने प्राकृतिक खेती से उगाए गए उत्पादों पर MSP लागू किया है। वर्तमान में राज्य सरकार ने MSP इस प्रकार तय किया है:
• मक्की – 40 रुपये प्रति किलो
• गेहूं – 60 रुपये प्रति किलो
• कच्ची हल्दी – 90 रुपये प्रति किलो
• जौ – 60 रुपये प्रति किलो
मृदा स्वास्थ्य और वैज्ञानिक खेती पर जोर
सम्मेलन में मृदा स्वास्थ्य सुधार को भी प्राथमिकता दी गई।
• मृदा उर्वरता मानचित्र (Soil Fertility Maps) तैयार करने की जरूरत बताई गई, ताकि हर क्षेत्र की मिट्टी के अनुसार फसलें उगाई जा सकें।
• रिमोट सेंसिंग तकनीक के महत्व पर चर्चा हुई और कहा गया कि आज की कृषि में इसका व्यापक उपयोग जरूरी है। इससे फसल उत्पादन की निगरानी, जल संसाधन प्रबंधन और भूमि उपयोग योजनाएँ बेहतर बनाई जा सकती हैं।
कृषि और किसान कल्याण की दिशा में बड़ा कदम
इस सम्मेलन का सबसे बड़ा संदेश यह रहा कि केंद्र और राज्य मिलकर किसानों के कल्याण के लिए एक साझा प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ेंगे। कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सभी स्तरों पर ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया गया।
किसानों की समस्याओं का समाधान केवल योजनाएँ बनाकर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर उनका सख्ती से पालन करने से होगा। इस सम्मेलन ने यह स्पष्ट किया कि आने वाले वर्षों में भारत की कृषि प्रणाली और मजबूत होगी और किसानों की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सम्मेलन कृषि रबी अभियान 2025 भारत की कृषि प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। इस सम्मेलन ने यह दिखा दिया है कि भारत सरकार किसानों की भलाई और कृषि सुधारों के लिए गंभीर है। फसल बीमा, प्राकृतिक खेती, MSP, परिशुद्ध खेती और मृदा स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर लिए गए निर्णय आने वाले समय में कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदल सकते हैं।
यदि इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया तो न केवल किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और कृषि निर्यात क्षमता भी मजबूत होगी। यह सम्मेलन भारतीय किसानों के लिए आशा और संभावनाओं की नई किरण लेकर आया है।
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