हमीरपुर, 29 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को मज़बूत बनाने और युवाओं को आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करने के लिए उद्योग विभाग लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में हमीरपुर के होटल हमीर में एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था – उद्यमियों को एमएसएमई पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जानकारी देना, उन्हें नई औद्योगिक नीतियों से अवगत कराना और युवाओं को स्वरोजगार की ओर प्रेरित करना।
इस कार्यशाला में नगर निगम हमीरपुर के आयुक्त राकेश शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में युवाओं को विशेष रूप से आह्वान किया कि वे सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाकर सफल उद्यमी बनें।
युवाओं के लिए बड़ा अवसर: योजनाओं का लाभ उठाएं
राकेश शर्मा ने कहा कि किसी भी उद्योग की स्थापना करते समय केवल आर्थिक लाभ ही लक्ष्य नहीं होना चाहिए, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास पर भी ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यदि आर्थिक और पर्यावरणीय संतुलन कायम किया जाए तो ही समग्र और टिकाऊ विकास की अवधारणा पूरी हो सकती है।
उन्होंने आगे बताया कि उद्योग विभाग की ओर से लागू की गई क्लस्टर आधारित नीति एमएसएमई क्षेत्र के लिए बेहद लाभकारी है। इस नीति के अंतर्गत उद्योगों को एक साथ विकसित किया जाता है, जिससे आपसी सहयोग, लागत में कमी और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो पाता है।
उन्होंने युवाओं से कहा कि –
वे पारंपरिक रोजगार पर निर्भर न रहकर स्वरोजगार और उद्यमिता को अपनाएं।
सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर छोटे-छोटे उद्योग शुरू करें।
भविष्य में ये उद्योग न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगे, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगे।

विशेषज्ञों ने साझा किए महत्वपूर्ण सुझाव
कार्यशाला में विशेष रूप से आमंत्रित विशेषज्ञ वक्ता डॉ. विवेक कुमार और ऋषिकेश सिंह ने उद्यमियों को कई महत्वपूर्ण योजनाओं और पहल के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने निम्नलिखित योजनाओं और कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला –
1. एमएसएमई क्लस्टर विकास कार्यक्रम (Cluster Development Programme) – इसके माध्यम से एक ही क्षेत्र में कार्यरत छोटे उद्योगों को आपस में जोड़ा जाता है ताकि उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाई जा सके।
2. एमएसएमई ग्रीनिंग पहल (MSME Greening Initiative) – इस योजना का मकसद है कि उद्योग पर्यावरण के अनुकूल तकनीकों को अपनाएं।
3. रेज़िंग एंड एक्सीलरेटिंग एमएसएमई परफॉरमेंस (RAMP) – यह योजना उद्योगों की उत्पादकता और प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए बनाई गई है।
4. सर्कुलर इकॉनमी मॉडल – इसके अंतर्गत उद्योगों को कचरे को संसाधन के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
5. SPICE और GIFT योजनाएं – ये योजनाएं उद्योगों को वित्तीय और तकनीकी दृष्टि से मजबूती प्रदान करती हैं।
विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि यदि उद्यमी संसाधनों का दक्ष उपयोग करें और आधुनिक तकनीकों को अपनाएं, तो वे दीर्घकालिक रूप से प्रतिस्पर्धा में बने रह सकते हैं।
कार्यशाला का उद्देश्य और स्वागत
इस कार्यशाला का आयोजन जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) हमीरपुर की ओर से किया गया। डीआईसी के आर्थिक अन्वेषक प्रवेश कपूर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला के उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उद्योग विभाग का मुख्य लक्ष्य है –
• युवाओं में उद्यमिता की भावना विकसित करना।
• उद्योगों को नवीनतम नीतियों और योजनाओं से जोड़ना।
• स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर पैदा करना।
इस अवसर पर सहयोगी संस्था के अधिकारी डॉ. गौरव दीप सिंह और अश्वनी कुमार ने भी मुख्य अतिथि और अन्य प्रतिभागियों का स्वागत किया।
प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी
कार्यशाला में जिले के कई प्रमुख लोग और उद्यमी भी उपस्थित रहे। इनमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुमन भारती, सुनील कुमार, जिला उद्यमी संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र मल्होत्रा, डीआईसी की अधिकारी रीता शर्मा और निकिता सहित बड़ी संख्या में स्थानीय उद्यमी और अधिकारी शामिल हुए।

हिमाचल में उद्यमिता का भविष्य
हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य में एमएसएमई क्षेत्र का बहुत बड़ा महत्व है। यहां परंपरागत रूप से कृषि और बागवानी पर निर्भरता रही है, लेकिन बदलते समय में छोटे और मध्यम उद्योगों ने भी अपनी अलग पहचान बनाई है।
राज्य सरकार द्वारा युवाओं के लिए चलाई गई योजनाएं उद्यमिता को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा साधन हैं।
क्लस्टर विकास और हरित उद्योग (Green Industry) की दिशा में प्रयास राज्य को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही मार्गदर्शन मिले, तो हिमाचल के युवा न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी उद्योग जगत में नई पहचान बना सकते हैं।
निष्कर्ष
हमीरपुर में आयोजित यह कार्यशाला इस बात का प्रमाण है कि राज्य सरकार और उद्योग विभाग उद्यमियों को न केवल प्रेरित कर रहे हैं बल्कि उन्हें आवश्यक तकनीकी और नीतिगत सहायता भी प्रदान कर रहे हैं। मुख्य अतिथि राकेश शर्मा का युवाओं को उद्यमिता की ओर बढ़ने का आह्वान निश्चित ही आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम देगा।
यदि युवा इन योजनाओं का लाभ उठाएं और नए उद्योगों की ओर कदम बढ़ाएं, तो हिमाचल प्रदेश बहुत जल्द उद्यमिता और स्वरोजगार का हब बन सकता है।
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