हिमाचल में मीडिया संस्थान पर FIR से जनता में आक्रोश: क्या दबाई जा रही है प्रेस की स्वतंत्रता?

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हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के बीच, एक मीडिया संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने का मामला सामने आया है, जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। इस घटना ने न केवल आम जनता बल्कि पत्रकारों के बीच भी नाखुशी और आक्रोश को जन्म दिया है। मीडिया का समाज में हो रही घटनाओं को जनता तक पहुंचाने में अहम योगदान होता है और ऐसे में इस तरह की कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

आंकड़ों और आकलनों के आधार पर मीडिया संस्थान के खिलाफ की गई इस एफआईआर को जनता और पत्रकार, मीडिया की आवाज को दबाने का प्रयास मान रहे हैं। समाज की आवाज उठाने वाले मीडिया को दबाने का प्रयास कहीं न कहीं लोकतंत्र के हित में नहीं है। मीडिया हमेशा जनता के हितों की रक्षा के लिए खतरों का सामना करती है, पर इस घटना ने मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस मामले में जनता ने भी अपनी आवाज उठाते हुए इस एफआईआर को वापस लेने की मांग की है, क्योंकि इससे न सिर्फ पत्रकारिता की स्वतंत्रता खतरे में है बल्कि यह आम जनता की आवाज को भी कमजोर करने का प्रयास है।

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