किन्नौर में हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) की 19 बसों की बुक वैल्यू जीरो हो चुकी है, फिर भी ये बसें सड़कों पर बेखौफ दौड़ रही हैं। इसका कारण इन बसों की उत्कृष्ट फिटनेस और रखरखाव है।
आम तौर पर, जब किसी बस की बुक वैल्यू जीरो हो जाती है, तो इसका मतलब होता है कि वह बस या तो 15 साल पुरानी हो चुकी है या उसने एक निश्चित दूरी तय कर ली है। किन्नौर में यह सीमा 7.25 लाख किलोमीटर है। हालांकि, रिकांगपिओ डिपो की इन 19 बसों ने यह दूरी तय कर ली है, लेकिन इनमें से कोई भी बस 15 साल पुरानी नहीं हुई है। इन बसों की तकनीकी फिटनेस पूरी तरह दुरुस्त है, जिसके कारण इन्हें सड़कों पर चलाना सुरक्षित माना गया है।
क्या होती है ‘बुक वैल्यू जीरो’ की अवधारणा?
बुक वैल्यू जीरो का मतलब होता है कि बस ने अपनी अनुमानित उपयोग अवधि या दूरी पूरी कर ली है। लेकिन यह फिटनेस का पैमाना नहीं है। यदि बस फिटनेस परीक्षण में पास होती है और सभी सुरक्षा मापदंडों को पूरा करती है, तो इसे सड़कों पर चलाने में कोई दिक्कत नहीं होती। HRTC की ये बसें भी इसी वजह से बिना किसी समस्या के यात्रियों को सेवाएं दे रही हैं।
रिकांगपिओ डिपो का बेड़ा और नई बसें:
रिकांगपिओ डिपो के पास कुल 95 बसें हैं, जो विभिन्न रूटों पर यात्रियों को सुविधा प्रदान कर रही हैं। इनमें से 15 बसें आधुनिक BS-6 मॉडल की हैं, जो नई तकनीक और बेहतर सुविधाओं से लैस हैं। इन नई बसों के आने से यात्रियों को सफर में और भी आरामदायक अनुभव मिल रहा है।
क्षेत्रीय प्रबंधक पीयूष शर्मा ने बताया कि इन 19 बसों की बुक वैल्यू भले ही जीरो हो चुकी है, लेकिन सभी बसें तकनीकी रूप से फिट हैं और सुरक्षित यात्रा के लिए मान्य हैं। निगम की नीतियों के अनुसार, जब तक बस फिटनेस टेस्ट में पास होती रहती है, तब तक उसे सड़कों पर चलाया जा सकता है।
किन्नौर की चुनौतीपूर्ण सड़कों पर भरोसेमंद बसें:
किन्नौर की संकरी और खतरनाक सड़कों पर इन बसों का चलना निगम के कुशल ड्राइवरों और रखरखाव टीम की मेहनत को दर्शाता है। इन बसों की नियमित देखरेख और समय-समय पर फिटनेस जांच से सुनिश्चित होता है कि यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
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