हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को व्यवस्थित करने और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए एक अहम फैसला लिया है। राज्य सरकार ने ऐसे 100 सरकारी स्कूलों को बंद कर दिया है जिनमें इस शैक्षणिक सत्र में किसी भी छात्र ने नामांकन नहीं करवाया। इनमें से 72 स्कूल प्राथमिक स्तर के हैं, जबकि 28 मिडल स्कूल हैं। इसके साथ ही, जिन प्राथमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या 5 या उससे कम थी, ऐसे 120 स्कूलों को समीपवर्ती स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। इस संबंध में शिक्षा विभाग के सचिव की ओर से अधिसूचना मंगलवार को जारी की गई।
शून्य नामांकन वाले स्कूलों की सूची जिलेवार जारी की गई है। बंद किए गए प्राथमिक स्कूलों में कांगड़ा से 11, मंडी से 13, शिमला से 12, चंबा से 7, सोलन से 7, कुल्लू से 5, सिरमौर से 5, लाहौल-स्पीति से 4, किन्नौर से 3, बिलासपुर से 2, ऊना से 2 और हमीरपुर से 1 स्कूल शामिल हैं। मिडल स्कूलों की बात करें तो शिमला में सबसे ज्यादा 14 मिडल स्कूल बंद किए गए हैं, जबकि किन्नौर में 4, चंबा और कांगड़ा में 1-1, कुल्लू और लाहौल-स्पीति में 2-2, तथा सोलन और ऊना में 1-1 मिडल स्कूल शामिल हैं। इन सभी स्कूलों में इस वर्ष एक भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया था।

इसके अलावा प्रदेश सरकार ने जिन प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या 5 या उससे कम है, उन्हें आसपास के स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया है। मर्ज किए गए स्कूलों की संख्या भी 120 है। इन स्कूलों में कांगड़ा से 52, मंडी से 25, बिलासपुर से 15, शिमला से 9, सोलन से 6, सिरमौर से 5, ऊना से 3, हमीरपुर से 4 और कुल्लू से 1 स्कूल शामिल हैं।
शिक्षा विभाग के अनुसार, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। हर वर्ष लगभग 50 हजार छात्र सरकारी स्कूलों से कम हो रहे हैं। वर्ष 2003-04 में कक्षा पहली से आठवीं तक 9,71,303 छात्र पंजीकृत थे, जबकि वर्तमान सत्र में कक्षा पहली से आठवीं तक केवल 4,29,070 छात्र ही रह गए हैं। कक्षा पहली से बारहवीं तक की कुल संख्या भी अब केवल साढ़े 7 लाख के आसपास रह गई है।
इस गिरावट को देखते हुए हाल ही में निदेशालय स्तर पर सभी शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में शिक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि वे छात्र नामांकन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दें। उन्हें यह भी कहा गया कि यदि स्कूलों में छात्र नहीं होंगे तो स्कूलों को बंद करना पड़ेगा। विभाग ने दो टूक कहा है कि “स्कूल वहीं रहेंगे जहां छात्र होंगे।”
यह कदम प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में संसाधनों का प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने और घटती छात्र संख्या की समस्या से निपटने की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक प्रयास माना जा रहा है।
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