
हिमाचल प्रदेश में फर्जी दस्तावेज़ के आधार पर सरकारी नौकरी पाने का एक और मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, बिहार राज्य के सीतामढ़ी जिले के बखरी डाकघर क्षेत्र निवासी सुजीत कुमार ने डाक विभाग में ग्रामीण डाक सेवक के पद पर फर्जी 10वीं प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल की थी। विभागीय स्तर पर दस्तावेजों की जांच के बाद यह खुलासा हुआ कि उसके द्वारा जमा की गई 10वीं की मार्कशीट असली नहीं थी और न ही वह किसी सरकारी रिकॉर्ड में पाई गई।
डाक विभाग ने अखिल भारतीय स्तर पर ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से ग्रामीण डाक सेवक, शाखा पोस्ट मास्टर और सहायक शाखा पोस्ट मास्टर के पदों पर भर्ती निकाली थी, जिसमें 10वीं कक्षा की मेरिट के आधार पर चयन किया गया। इसी प्रक्रिया के तहत सुजीत कुमार को 14 सितंबर 2021 को ग्रामीण डाक सेवक के पद पर नियुक्त किया गया था। उसे रिकांगपिओ डाक मंडल के अंतर्गत पूह उप डाकघर में नमज्ञा बीओ में तैनात किया गया, जहां वह 19 मई 2022 तक कार्यरत रहा।
नौकरी पाने के लिए उसने 10 जून 2017 को जारी एक 10वीं कक्षा की मार्कशीट जमा की, जिसमें दर्शाया गया था कि यह प्रमाण पत्र तमिलनाडु राज्य माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षा बोर्ड द्वारा जारी किया गया है। लेकिन जब डाक विभाग ने प्रमाण पत्र का सत्यापन करवाया, तो यह पाया गया कि उक्त मार्कशीट न तो चेन्नई स्थित सरकारी परीक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई थी और न ही किसी रिकॉर्ड में दर्ज थी। इस खुलासे के बाद विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सुजीत कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया।
जांच में यह भी सामने आया है कि सुजीत कुमार ने इस फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी करते हुए 14 सितंबर 2021 से 19 मई 2022 तक कुल ₹1,31,038 का वेतन प्राप्त किया, जिससे विभाग को आर्थिक नुकसान हुआ। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डाक विभाग के रामपुर डाक मंडल के अधीक्षक की ओर से शिकायत दर्ज कराई गई, जिसके आधार पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की शिमला शाखा ने सुजीत कुमार समेत अन्य अज्ञात व्यक्तियों और अज्ञात लोक सेवकों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जिनकी जांच सीबीआई पहले से ही कर रही है। ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति से यह आशंका जताई जा रही है कि इस प्रकार की धोखाधड़ी के पीछे एक संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है, जो फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करवाकर बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरियों में प्रवेश दिला रहा है। मामले की जांच जारी है और संबंधित अधिकारियों द्वारा सभी पहलुओं को गंभीरता से खंगाला जा रहा है।
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