शिक्षा विभाग ने शिक्षण संस्थानों में सोशल मीडिया के अनावश्यक उपयोग पर रोक लगाने का बड़ा निर्णय लिया है। स्कूल और कॉलेज परिसरों में वीडियो और रील बनाने जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह निर्णय विभाग को मिली लगातार शिकायतों के बाद लिया गया है। उच्च शिक्षा निदेशक ने शनिवार को सभी जिला उपनिदेशकों, स्कूल और कॉलेज प्रमुखों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।
शिकायतों के अनुसार, कुछ शिक्षक और कर्मचारी शिक्षण समय के दौरान वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने में लगे रहते हैं, जिससे छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन और समग्र विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, छात्रों को भी सोशल मीडिया के अनावश्यक उपयोग की ओर प्रेरित किया जा रहा है, जो उनके प्रारंभिक जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है।
निर्देशों में संस्थानों के प्रमुखों को कहा गया है कि वे इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सख्त निगरानी रखें। उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि शिक्षक और छात्र दोनों अपने समय का उपयोग शैक्षिक लक्ष्यों, खेल, व्यक्तित्व विकास और राष्ट्र निर्माण जैसी गतिविधियों में करें।
शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि स्कूल और कॉलेजों का मुख्य उद्देश्य छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। सोशल मीडिया जैसे उपकरणों का उपयोग केवल शैक्षिक या जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए।
शिक्षा विभाग के इस कदम का उद्देश्य शिक्षण संस्थानों की गरिमा बनाए रखना और छात्रों के लिए एक अनुशासित और शैक्षिक वातावरण तैयार करना है।
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