भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने राज्य सरकार पर शिक्षा विभाग के बढ़ते कदमों को बेड़ियों में जकड़ने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशालय को एक करने के निर्णय से पूरे शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि वर्तमान सरकार का यह कैसा व्यवस्था परिवर्तन है, जिसमें 900 स्कूलों को बंद करना उपलब्धि के रूप में दिखाया जा रहा है। डॉ. बिंदल ने अपने बयान में कहा कि स्कूलों को बंद करने के कारण छोटे बच्चों को रोजाना 3 से 5 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ रहा है और अब सरकार कॉलेजों को बंद करने की दिशा में भी आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि हजारों शिक्षकों को नियंत्रित करने के लिए पूर्व में अलग-अलग शिक्षा निदेशालय बनाए गए थे और इसके बावजूद कार्य में कठिनाई आती थी, लेकिन अब एक निदेशालय गठित करने से पूरा विभाग संकट में आ जाएगा। डॉ. बिंदल ने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार ने अपने अढ़ाई वर्षों के कार्यकाल में न तो किसी शिक्षक की भर्ती की और न ही किसी स्कूली सहायक की नियुक्ति की। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई नया स्कूल भी नहीं खोला, बल्कि उल्टा स्कूल बंद करके शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के दावे कर रही है। साथ ही, सरकार पिछले दो वर्षों में स्कूली बच्चों को वर्दी तक नहीं दे पाई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों से शिक्षा विभाग पूरी तरह बर्बादी की ओर बढ़ रहा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने भी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि हिमाचल सरकार ने मनरेगा के तहत केंद्र सरकार को 123.24 करोड़ रुपये की देनदारी नहीं चुकाई है। उन्होंने बताया कि इसमें वेतन के 95.41 करोड़ रुपये, सामग्री के 25.22 करोड़ रुपये और प्रशासनिक व्यय के 2.60 करोड़ रुपये शामिल हैं। भारद्वाज ने कहा कि जब तक हिमाचल यह राशि केंद्र को नहीं देता, तब तक मनरेगा के अंतर्गत और कोई राशि नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने किसी योजना की राशि नहीं रोकी है, और यदि कहीं पैसा रुका है तो उसकी जिम्मेदार वर्तमान कांग्रेस सरकार है। उन्होंने यह भी कहा कि हिमाचल की किसी भी योजना का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठाती है, जबकि केवल 10 फीसदी राज्य को देना होता है।
भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष संजीव देष्टा ने बीकेयू नेता नरेश टिकैत के उस बयान की आलोचना की है जिसमें उन्होंने सिंधु जल संधि को रद्द करने का विरोध किया। देष्टा ने कहा कि यह बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और उन निर्दोष मृतक सैलानियों का अपमान है जिनकी पाकिस्तानी आतंकियों ने पहलगाम में हत्या की। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है, तब ऐसे बयान राष्ट्र के साथ धोखा हैं। उन्होंने मांग की कि नरेश टिकैत को इस बयान के लिए देश और किसानों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
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