शिमला: डाक्टरों ने एनपीए, अन्य भत्तों और छुट्टियों में कटौती के खिलाफ अपना गुस्सा व्यक्त किया है। मेडिकल और डेंटल कॉलेज टीचर्स राज्य एसोसिएशन (सैमडिकोट) ने काले बिल्ले लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। शनिवार को आईजीएमसी और अन्य अस्पतालों में डाक्टरों ने काले बिल्ले लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। सैमडिकोट का कहना है कि वे मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेंगे और अपनी मांगों से अवगत करवाएंगे, अन्यथा उन्हें ठोस रणनीति अपनानी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने एनपीए भत्ते का आश्वासन दिया था
डाक्टरों का कहना है कि एनपीए भत्ता 2023 में आपदा के दौरान सरकार द्वारा बंद कर दिया गया था, जो उनके प्रशिक्षण के समय वेतन का 20% होता था। वे पिछले वर्ष 3 जून को मुख्यमंत्री से मिले थे, जहाँ उन्हें आश्वासन दिया गया था कि आपदा के 3 महीने बाद एनपीए भत्ता दे दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती में भी इस भत्ते को उनके वेतन से हटा दिया गया है, जिससे डाक्टरों का मनोबल गिर रहा है। आउटसोर्स किए गए डाक्टर भी एनपीए से वंचित हैं, जिससे उनका मनोबल और गिर रहा है। इसके अलावा, छुट्टियों में भी कटौती की जा रही है।
आईजीएमसी में डाक्टरों की छुट्टियों में कटौती
आईजीएमसी शिमला में डाक्टरों की छुट्टियों में कमी से भी डाक्टरों में भारी रोष है। शुक्रवार को सैमडिकोट ने आम सभा की बैठक की और काले बिल्ले लगाकर विरोध शुरू किया। शनिवार को भी डाक्टरों ने अपनी सेवाएं देते हुए काले बिल्ले पहने।
मनोबल पर असर और चिकित्सा सेवाएं होंगी प्रभावित
सैमडिकोट के अध्यक्ष डा. बलवीर वर्मा ने कहा कि एनपीए सहित भत्तों और छुट्टियों में कटौती से डाक्टरों का मनोबल गिर रहा है, जिसका असर प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों में छुट्टियों के दिनों में कमी के निर्णय से डाक्टर चिंतित हैं और इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से समय मांगा गया है और उन्हें सभी मांगों और समस्याओं से अवगत कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। इसलिए सैमडिकोट मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों से उचित कार्रवाई की मांग करती है, जिससे मरीजों की देखभाल में कमी न हो।