Kangra: दाने-दाने को तरस रहा है धन्नी राम का परिवार, 85 वर्षीय बुजुर्ग अपने दो विकलांग बच्चों की जिम्मेदारी उठाने को मजबूर

हिमाचल प्रदेश के जयसिंहपुर विधानसभा क्षेत्र की पंचायत कैलाशपुर के वार्ड नंबर 3 से एक बेहद मार्मिक और हृदयविदारक खबर सामने आई है। यहां 85 वर्षीय बुजुर्ग धन्नी राम अपने दो विकलांग बच्चों की देखभाल करने को मजबूर हैं। धन्नी राम के बेटे की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और उनकी 45 वर्षीय बेटी पूरी तरह से विकलांग है। परिवार की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है। उनके पास न तो पहनने के लिए ठीक कपड़े हैं और न ही सुरक्षित आवास। परिवार पूरी तरह से तंगी और अभाव में जी रहा है।

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बुजुर्ग धन्नी राम की स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि वे खुद बीमार हैं और परिवार की जिम्मेदारी उठाने के काबिल नहीं बचे, लेकिन फिर भी अपने बच्चों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जब समाजसेवी के डी राणा और शेर सिंह मौके पर पहुंचे तो हालात देखकर हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि धन्नी राम का घर पूरी तरह से जर्जर अवस्था में है, जो कभी भी गिर सकता है। परिवार को आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। न तो उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक सहायता दी गई है और न ही विकलांगता के आधार पर कोई सुविधा।

के डी राणा ने बताया कि पंचायत का रवैया इस परिवार के प्रति बेहद उपेक्षापूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार विकलांगों के लिए एम्बुलेंस सुविधा और सड़क सुविधा की बात करती है, वैसा कुछ भी इस परिवार के पास मौजूद नहीं है। पंचायत घर तक पहुंचने का रास्ता तक नहीं बनवा पाई। ऐसे में किसी आपातकाल की स्थिति में इस परिवार को अस्पताल पहुंचाना भी नामुमकिन हो जाता है।

बुजुर्ग धन्नी राम ने रोते हुए समाजसेवियों से कहा कि “मेरे बाद मेरे बच्चों का क्या होगा?” यह सवाल एक पिता की चिंता से कहीं ज्यादा एक सामाजिक तंत्र पर सवाल है, जो जरूरतमंदों को नजरअंदाज कर रहा है। परिवार की हालत यह है कि वे पड़ोसियों के चूल्हे से उठते धुएं को देखकर उम्मीद लगाते हैं कि शायद कोई उन्हें भी खाने को दे जाए।

समाजसेवी के डी राणा और शेर सिंह ने इस परिवार की स्थिति को बेहद चिंताजनक बताया और सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस पीड़ित परिवार की मदद के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते ध्यान नहीं दिया तो यह अन्याय और सामाजिक असमानता को और बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायत और प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे ज़रूरतमंद परिवारों को योजनाओं का लाभ मिले।

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सरकार की योजनाएं कागज़ों तक सीमित हैं और जिनके लिए ये योजनाएं बनाई जाती हैं, वे आज भी भूख और बेबसी की ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं। धन्नी राम और उनका परिवार आज एक सवाल बनकर खड़ा है – क्या गरीब हमेशा गरीब ही रहेगा?

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