हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले की घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र के तियूण खास पंचायत में रहने वाले चुंहकू राम और उनकी पत्नी भागा देवी की जिंदगी इस कदर कठिन हो चुकी है कि यह दंपति अब दूसरों की रहमत पर जीने को मजबूर है। तियूण (गढ़) गांव निवासी चुंहकू राम एक गंभीर हादसे में अपनी एक टांग गंवाकर 80 प्रतिशत विकलांग हो चुके हैं। उनकी हालत यह है कि उनके पास न रहने को घर है, न खाने को भोजन और न ही इलाज करवाने के लिए पैसे। सरकार और प्रशासन की अनदेखी के कारण यह वृद्ध दंपति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
चुंहकू राम ने पहले सिली-सोलन क्षेत्र में रेत की खान में मजदूरी कर अपने परिवार का गुजारा किया। लेकिन एक दिन खान में काम करते वक्त एक भारी पत्थर उसकी टांग पर गिर गया। इलाज के लिए जब उसे पीजीआई ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने उसकी टांग काटनी पड़ी। इस दुर्घटना के बाद वह मजदूरी करने के लायक नहीं रहा। परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उसकी पत्नी भागा देवी ने दूसरों के घरों में काम करना शुरू किया ताकि बच्चों और पति की देखभाल की जा सके।
शुरुआत में चुंहकू राम को कच्चे मकान की ऊपरी मंजिल में एक कमरा मिला, लेकिन विकलांगता के चलते वहां रहना मुश्किल था। साल 2007 में पंचायत ने मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत दो कमरों का मकान बनवाकर दिया, जिसमें वे रहने लगे। दुर्भाग्यवश वर्ष 2023 में हुई भारी बारिश में वह मकान भी गिर गया। नुकसान का जायजा पटवार हलके द्वारा लिया गया और मदद का आश्वासन भी मिला, लेकिन आज तक किसी प्रकार की सरकारी सहायता इस परिवार को नहीं मिली।
स्थिति यह रही कि प्रशासन की ओर से आपात राहत के तौर पर एक तिरपाल तक इस परिवार को नहीं दी गई। गांव के एक मददगार ने तिरपाल दी और पंचायत सदस्य मक्खन सिंह के खेत में टेंट लगाकर यह परिवार रहने लगा। बाद में ग्रामीणों ने गिरे मकान की टीन इकट्ठी कर एक अस्थाई खोखा बनाया, जिसमें चारपाई लगाकर रहने की कोशिश की गई। वह भी पर्याप्त नहीं था, तो गांव के एक अन्य मददगार रूप लाल ने उन्हें अपने घर में एक कमरा रहने को दिया, जहां वे अब जीवन बिता रहे हैं।
मुसीबतें यहीं नहीं रुकीं। कुछ समय बाद चुंहकू राम को सांस की बीमारी हो गई और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ने लगी। पैसे न होने की वजह से परिवार इलाज नहीं करवा सका। ऐसे में स्थानीय लोगों ने एंबुलेंस का इंतजाम कर उन्हें आईजीएमसी शिमला पहुंचाया, जहां उनकी जान तो बच गई, लेकिन उनकी हालत और भी खराब हो गई। अब उनके दोनों बच्चे दिहाड़ी कर किसी तरह माता-पिता का सहारा बन रहे हैं, लेकिन हालात इतने खराब हैं कि यह परिवार आज भी बुनियादी मदद का इंतजार कर रहा है।
जिला विश्वकर्मा सभा के अध्यक्ष रमेश कौंडल ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि वह चुंहकू राम के परिवार के हालातों का मौके पर निरीक्षण कर उन्हें तत्काल सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदान करें। पंचायत प्रधान रूप लाल का कहना है कि चुंहकू राम का नाम बीपीएल सूची में दर्ज किया गया है और पंचायत अपनी तरफ से भरसक मदद कर रही है। उन्होंने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि नियमों से हटकर भी इस जरूरतमंद परिवार की सहायता की जाए क्योंकि यह परिवार वास्तव में गंभीर संकट में है।
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