हरोली क्षेत्र के अंतर्गत बीटन गांव के एक वीर सैनिक की लेह-लद्दाख में हृदय गति रुकने से शहादत हो गई। परमवीर, जो 3 सिख बटालियन में तैनात थे, ने भारतीय सेना में 13 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं। उनकी अचानक मृत्यु से उनका गांव शोक में डूब गया है और उनका परिवार अत्यधिक दुखी है।
परमवीर (33) पुत्र सीता राम, बीटन गांव के निवासी थे। उनका निधन उस समय हुआ जब वे अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। दो सप्ताह पहले ही परमवीर अपने 5 वर्षीय बेटे के बीमार होने के कारण घर आए थे और 9 दिसंबर को वापस ड्यूटी पर लौटे थे। परमवीर ने परिवार से जल्द वापसी का वादा किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उनकी यह वापसी अब संभव नहीं हो पाई।
परमवीर का हाल ही में चंडीगढ़ से लेह ट्रांसफर हुआ था। वह पहले दो वर्षों तक चंडीगढ़ में तैनात थे, लेकिन दो महीने पहले ही उनका तबादला लेह में हुआ था। इस दौरान वह अपनी ड्यूटी के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे और हमेशा अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते थे।
उनकी पत्नी मलकीत कौर को पति के निधन की खबर मिली तो वह अपनी सुध खो बैठी। उनका 5 वर्षीय बेटा अभी भी अपने पिता की वापसी का इंतजार कर रहा है। परमवीर के माता-पिता पहले ही इस दुनिया को छोड़ चुके थे, और अब उनकी पत्नी और बेटा बीटन गांव में अकेले रह गए हैं।
परमवीर ने अपनी सेवा के दौरान 2015 में सियाचिन (लद्दाख) में आतंकी मुठभेड़ के दौरान पेट में गोली भी खाई थी। उनकी वीरता और साहस ने उन्हें सेना में विशेष सम्मान दिलाया।
परमवीर का शव 23 दिसंबर को उनके पैतृक गांव बीटन पहुंचेगा, जहां उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने परमवीर के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया है और उनके योगदान को सम्मानित किया है।
इस कठिन समय में गांववाले और भारतीय सेना परमवीर के परिवार के साथ खड़ी है। उनकी पत्नी मलकीत कौर और उनके बेटे को जीवन के इस बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा, लेकिन वे कभी भी अकेले नहीं होंगे।
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