Home राजनीति Himachal: जेपी नड्डा की सियासी बिसात: 2027 में सत्ता वापसी को लेकर भाजपा ने शुरू की ‘मास्टर प्लानिंग’

Himachal: जेपी नड्डा की सियासी बिसात: 2027 में सत्ता वापसी को लेकर भाजपा ने शुरू की ‘मास्टर प्लानिंग’

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Himachal: जेपी नड्डा की सियासी बिसात: 2027 में सत्ता वापसी को लेकर भाजपा ने शुरू की ‘मास्टर प्लानिंग’

भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी रणनीतिक तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल और वरिष्ठ नेता शांता कुमार से उनके निवास पर जाकर मुलाकात की, जिससे राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खास बात यह है कि यह मुलाकात ठीक उस समय हुई है जब डॉ. राजीव बिंदल ने तीसरी बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया है। इस घटनाक्रम को संगठनात्मक स्तर पर एक नई शुरुआत और एकजुटता की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि जेपी नड्डा का यह दौरा महज शिष्टाचार नहीं था, बल्कि भाजपा के भीतर सभी गुटों को एक मंच पर लाने की स्पष्ट रणनीति का हिस्सा था। 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को बेहद मामूली अंतर से हार मिली थी और कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी थी। इस पृष्ठभूमि में भाजपा अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। नड्डा ने डॉ. राजीव बिंदल को साथ ले जाकर वरिष्ठ नेताओं से जो मुलाकात की, वह दर्शाता है कि वह संगठन को मजबूत और समन्वयपूर्ण बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। संगठन में तालमेल बैठाने और अंतर्विरोधों को सुलझाने की यह पहल पार्टी को आगामी चुनावों में नई ऊर्जा दे सकती है।

1 जुलाई को तीसरी बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. राजीव बिंदल ने साफ कर दिया कि उनका लक्ष्य 2027 के चुनावों में भाजपा की जीत सुनिश्चित करना है। उन्होंने अपने पहले ही भाषण में यह स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाना उनकी प्राथमिकता है। बिंदल को एक सक्रिय और जमीनी नेता के रूप में देखा जाता है, जो संगठन को मजबूत करने के लिए दिन-रात काम करते हैं। नड्डा और बिंदल की साझा सक्रियता को भाजपा का एक रणनीतिक ‘मास्टरस्ट्रोक’ माना जा रहा है, जो पार्टी के आंतरिक ढांचे को फिर से सशक्त बनाने की दिशा में अहम साबित हो सकता है।

2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा ने कुल 42,19,635 मतों में से 18,14,530 वोट प्राप्त किए थे। कांग्रेस को मात्र 0.9 प्रतिशत अधिक मत मिले और वह सत्ता में आई। भाजपा को यदि केवल 37,974 और वोट मिल जाते, तो वह कांग्रेस से आगे निकल सकती थी। दिलचस्प बात यह रही कि तीन सीटों – भोरंज (60 वोट), सुजानपुर (399 वोट) और शिलाई (382 वोट) – पर भाजपा बेहद कम अंतर से हारी थी। ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि भाजपा बहुत करीब से सत्ता से चूकी थी और अगर वह इन क्षेत्रों में मामूली जनसमर्थन और जुटा पाती, तो नतीजे बदल सकते थे।

हालांकि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में जबरदस्त प्रदर्शन किया। पार्टी ने चारों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की और कुल मतों का 56.29 प्रतिशत हिस्सा हासिल किया, जबकि कांग्रेस को केवल 41.57 प्रतिशत मत मिले। सीटवार आंकड़ों में भाजपा ने कांग्रेस पर औसतन 10 से 24 प्रतिशत तक की बढ़त हासिल की। मंडी सीट से भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत ने भी विक्रमादित्य सिंह को हराकर पार्टी को महत्वपूर्ण बढ़त दिलाई। यह प्रदर्शन भाजपा के लिए यह साबित करता है कि राज्य की जनता का विश्वास अब भी पार्टी में बना हुआ है।

जेपी नड्डा की वरिष्ठ नेताओं से हुई मुलाकात को इसी विश्वास को बरकरार रखने और संगठन को एकजुट करके 2027 में सत्ता में वापसी सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम माना जा रहा है। यह बैठक भाजपा संगठन के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत और भविष्य की बड़ी योजना का संकेत देती है, जिसे पार्टी नेतृत्व बेहद गंभीरता से आगे बढ़ा रहा है।

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