मंडी में इस साल के अंतर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव में ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ, जब पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक परेड का आयोजन किया गया। शनिवार देर शाम आयोजित इस भव्य परेड में छह देशों के कलाकारों और भारत के विभिन्न राज्यों से आए सांस्कृतिक दलों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। सेरी मंच और इंदिरा मार्केट के आसपास हजारों की संख्या में लोग पारंपरिक नृत्यों और रोमांचक करतबों को देखने के लिए उमड़ पड़े।

इस सांस्कृतिक परेड में यूक्रेन, थाईलैंड, श्रीलंका, मलेशिया और कजाकिस्तान के कलाकारों ने अपने पारंपरिक नृत्य और लोककलाओं का प्रदर्शन किया। वहीं, भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के चंबा, पांगी, भरमौर, शिमला, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और सिरमौर के कलाकारों ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत किया। मंडी के स्थानीय सांस्कृतिक दलों, मांडव्य कला मंच, संगीत सदन, अमर युवक मंडल और संकल्प युवक मंडल ने भी अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस परेड में उत्तर भारत और हिमाचल प्रदेश के 20 सांस्कृतिक दलों ने भाग लेकर इस आयोजन को भव्यता प्रदान की।

कल्चरल परेड की शुरुआत डीसी कार्यालय के प्रवेशद्वार से हुई, जो सेरी मंच होते हुए इंदिरा मार्केट परिसर का चक्कर लगाकर समाप्त हुई। विदेशी कलाकारों ने अपनी पारंपरिक वेशभूषा में लोकनृत्य प्रस्तुत किए, जबकि भारतीय राज्यों के कलाकारों ने भी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक झलक बिखेरी। रंग-बिरंगे परिधानों, पारंपरिक वाद्ययंत्रों की धुन और रोमांचक करतबों ने इस परेड को खास बना दिया।
इस अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक परेड को नगर एवं ग्राम नियोजन, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक एवं औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री राजेश धर्माणी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर विधायक चंद्रशेखर और कांग्रेस के पूर्व सचिव एवं जोगिंद्रनगर से पूर्व प्रत्याशी जीवन ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे। मंत्री राजेश धर्माणी ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा कि मंडी की ‘छोटी काशी’ की देव संस्कृति अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाएगी।
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