
शिमला में 9 महीने बाद हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ है, जिसमें एक युवक की रहस्यमयी मौत पर सवाल उठाए गए हैं। यह मामला मृतक गोविंद के पिता भूप राम ने शिमला के सदर थाना में दर्ज करवाया। भूप राम का आरोप है कि उनका बेटा, जो जिला शिमला के सुन्नी क्षेत्र के दुर्गापुर गांव का निवासी था, 21 मार्च, 2024 को शिमला गया था और लौटकर नहीं आया। उसी दिन उसका शव शांकली नाले के पास मिला।
भूप राम का दावा है कि गोविंद आखिरी बार पवन नामक व्यक्ति के साथ देखा गया था। आरोप है कि पवन ने पहले उसे शराब पिलाई और फिर चोट पहुंचाकर उसकी हत्या कर दी। गोविंद का मोबाइल फोन और नकदी गायब थी, जिससे मामले में चोरी की भी आशंका जताई जा रही है।
पिता की जांच से हुआ खुलासा
पुलिस की शुरुआती जांच से असंतुष्ट होकर भूप राम ने खुद मामले की तहकीकात शुरू की। उन्होंने पाया कि गोविंद के पास से उसका फोन और नकदी गायब थे। परिवार के दबाव और सबूतों के आधार पर 9 महीने बाद पुलिस ने भादंसं की धारा 304 और 379 के तहत मामला दर्ज किया।
भूप राम का आरोप है कि यह एक सुनियोजित हत्या थी। उनका कहना है कि पवन ने घटना के दिन गोविंद को चोट पहुंचाने और लूटने की योजना बनाई थी।
पुलिस ने जांच तेज की
एफआईआर दर्ज होने के बाद शिमला पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। वे घटनास्थल के सबूतों की समीक्षा कर रहे हैं, संभावित गवाहों से पूछताछ कर रहे हैं और उस दिन की घटनाओं को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों ने इस मामले में पुलिस की देरी पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता होती है, जिससे परिवार को न्याय मिल सके।
अभी भी अनुत्तरित हैं कई सवाल
इस मामले में कई सवाल अनुत्तरित हैं:
- एफआईआर दर्ज करने में 9 महीने की देरी क्यों हुई?
- क्या इस देरी के कारण कोई सबूत नष्ट हुआ?
- क्या प्रारंभिक जांच में चूक हुई, या कोई बाहरी दबाव था?
ये सवाल पुलिस की जांच का केंद्र बने हुए हैं। भूप राम और उनका परिवार जल्द न्याय की मांग कर रहा है।
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