हिंदोस्तान-तिब्बत नैशनल हाईवे-5, जो सामरिक दृष्टि से भारत के सबसे महत्वपूर्ण मार्गों में से एक है, पर उपमंडल कुमारसैन के किंगल क्षेत्र में डेढ़ साल से पड़ी चट्टान ने हादसे का खतरा बढ़ा दिया है। यह चट्टान पिछले वर्ष आपदा के दौरान खिसकर सड़क पर आ गई थी, लेकिन अब तक इसे हटाने के लिए विभाग ने कोई कदम नहीं उठाया है।
यह चट्टान किंगल-ढिंगुली संपर्क सड़क के पास स्थित है, जहां से सड़क में एक बड़ा मोड़ भी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र बेहद खतरनाक है, और किसी बड़े हादसे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इस मार्ग से हर रोज सैकड़ों वाहन शिमला, रामपुर, किन्नौर, आनी, करसोग और अन्य इलाकों की ओर आते-जाते हैं। यहां तक कि सेना के वाहन भी इसी मार्ग का उपयोग करते हैं, लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते यह समस्या बरकरार है।
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स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से बार-बार अपील की है कि इस चट्टान को तुरंत हटाया जाए। उनका कहना है कि इस चट्टान की वजह से कई बार वाहन चालकों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है, खासकर रात के समय। इसके बावजूद, पिछले डेढ़ साल में इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है।
सड़क सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि इस चट्टान को हटाने में देरी न केवल सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए खतरा बढ़ा रही है, बल्कि यह विभागीय लापरवाही का भी बड़ा उदाहरण है। यदि इसे जल्द ही हटाया नहीं गया, तो एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है, जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रशासन पर होगी।
प्रशासन पर उठ रहे हैं सवाल
लोगों का कहना है कि इतना महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बावजूद, विभाग इस समस्या को हल करने में असफल रहा है। अगर यह चट्टान इसी तरह पड़ी रही, तो यह न केवल यातायात बाधित करेगी, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
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