चम्बा जिले के छत्तरी ब्लॉक में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण औषधीय पौधे कसमल पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। क्षेत्र में सरकारी जमीनों से बड़े स्तर पर कसमल को अवैध रूप से उखाड़ने का काम लगातार जारी है, लेकिन इस गंभीर मामले पर न तो वन विभाग और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठाता नजर आ रहा है।
स्थानीय लोगों के अनुसार वन विभाग ने कसमल उखाड़ने पर रोक लगा रखी है, इसके बावजूद ठेकेदार खुलेआम इन पौधों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। इसका सबूत सड़कों के किनारे लगे कसमल के बड़े-बड़े ढेर हैं, जो अवैध गतिविधियों की ओर साफ इशारा करते हैं। लोगों का कहना है कि विभाग की ढिलाई के कारण ही ठेकेदारों ने क्षेत्र में डेरा डाल रखा है।
स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि वन विभाग सब कुछ जानते हुए भी मूकदर्शक बना हुआ है। रोजाना टनों के हिसाब से कसमल उखाड़ी जा रही है और आरोप है कि इसकी अनुमति भी विभागीय अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। सरकारी जमीनों से कसमल निकाले जाने को लेकर अब लोग सवाल उठाने लगे हैं। उनका कहना है कि विभाग की सख्ती केवल कागजों तक सीमित है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो यह बहुमूल्य औषधीय पौधा विलुप्त होने की कगार पर पहुंच सकता है।
चुराह क्षेत्र में कसमल की जड़ों की खुदाई से चारागाह पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। वन भूमि और चरागाहों से बेखौफ होकर जड़ें निकाली जा रही हैं, जिससे पशुओं के चरने की जगह भी नहीं बची है। इसके अलावा जड़ों के उखड़ने से जमीन की पकड़ कमजोर हो गई है और भारी बारिश के दौरान जमीन धंसने का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले निजी भूमि से कसमल निकालने की अनुमति मिलने के बाद अब वन भूमि से भी अवैध तरीके से इसकी खुदाई की जा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि इस पर तुरंत रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में कसमल का एक भी पौधा क्षेत्र में नहीं बचेगा।
वहीं इस मामले पर डीएफओ चुराह सुशील गुलेरिया ने कहा कि कसमल उखाड़ने पर पूरी तरह रोक लगाई गई है और किसी भी तरह के लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना जांच के कोई भी कसमल नहीं उखाड़ सकता और विभागीय टीमों को इस संबंध में सख्त निर्देश दिए गए हैं।
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