लंबे समय से चले आ रहे सूखे के प्रकोप से राहत की आस में गुरुवार को दो दर्जन से अधिक पंचायतों के किसान बड़ा देव कमरुनाग की शरण में पहुंचे। गोहर के समीप कुफरीधार में आयोजित कमरुनाग के एक दिवसीय मेले में आधा दर्जन से अधिक स्थानीय देवताओं की मौजूदगी रही। इस दौरान सैकड़ों श्रद्धालुओं और किसानों ने एक स्वर में बड़ा देव कमरुनाग से बारिश की गुहार लगाई।
किसानों का कहना है कि सदियों से उन्हें देवता के प्रत्यक्ष प्रमाण पर अटूट विश्वास रहा है, लेकिन लगातार पड़ रहे सूखे के कारण हालात गंभीर हो गए हैं। खेत-खलिहान सूखने लगे हैं, मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है और मानव स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बढ़ती जा रही है। इसी चिंता ने किसानों को देव शरण में आने के लिए मजबूर किया है।
सूखे के इस संकट के बीच देव परंपरा के अनुसार बड़ा देव कमरुनाग की गूर टोली में एक बार फिर ‘परता प्रक्रिया’ यानी अग्नि परीक्षा शुरू हो गई है। वर्तमान गूर देवी सिंह द्वारा देवता के समक्ष गुहार लगाए जाने के बाद उनकी गद्दी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। गूर देवी सिंह ने सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में अंतिम धूप अर्पित करते हुए शुक्रवार सुबह 7 बजे तक बारिश या बर्फबारी की कामना की है।
परंपरा के अनुसार यदि शुक्रवार सुबह 7 बजे तक बारिश नहीं होती है तो वर्तमान गूर को गद्दी छोड़नी पड़ सकती है। इसके बाद सुबह 8 बजे से पूर्व में रहे अन्य गूर क्रमवार परता प्रक्रिया के तहत देवता के समक्ष धूप देकर बारिश की गुहार लगाएंगे। देव नियमों के अनुसार जिस व्यक्ति की पुकार पर बारिश होगी, उसी का ‘परता’ साकार माना जाएगा और वही गूर की गद्दी पर विराजमान होगा।
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