प्रदेश हाईकोर्ट ने मुकदमों के शीघ्र निपटारे को लेकर अहम टिप्पणी करते हुए कहा है कि पक्षकारों को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए तीन से अधिक अवसर नहीं दिए जाने चाहिए। कोर्ट ने साफ कहा कि न्यायालय अनंत समय तक पक्षकारों का इंतजार नहीं कर सकते। जस्टिस अजय मोहन गोयल ने साक्ष्य पेश करने के लिए अतिरिक्त समय मांगने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
हाईकोर्ट ने कहा कि आमतौर पर मामलों में देरी के लिए न्यायालयों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, जबकि वास्तविकता यह है कि कई बार देरी पक्षकारों के आचरण के कारण भी होती है। यदि पक्षकार समय पर साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करते, तो इसका खामियाजा पूरे न्यायिक तंत्र को भुगतना पड़ता है।
मामले के अनुसार कांगड़ा जिला अदालत ने 18 नवंबर 2024 को वादी को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था। जिला अदालत ने कहा था कि वादी को पहले ही अंतिम अवसर दिया जा चुका था, इसके बावजूद वह अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। इसके बाद वादी के वकील ने एक बार फिर सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने अस्वीकार कर दिया।
रिकॉर्ड के अनुसार इस मामले में मुद्दे 9 जनवरी 2018 को तय किए गए थे और 12 अप्रैल 2018 को वादी के साक्ष्य दर्ज करने की तारीख निर्धारित की गई थी। इसके बाद वादी को कई बार अवसर दिए गए, लेकिन वह अपना साक्ष्य पेश करने में असफल रहा। जिला अदालत ने यह भी कहा कि यह दीवानी मुकदमा वर्ष 2015 से संबंधित है और 20 जून 2015 को दायर किया गया था, यानी यह मामला करीब नौ वर्ष पुराना है। ऐसे में और समय देना उचित नहीं है और वादी की गवाही समाप्त कर दी गई।
जिला अदालत के इस आदेश को वादी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने जिला अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।
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