परवाणू स्थित साउथ जोन जीएसटी विंग को नकली और धोखेबाज टैक्सपेयर्स पर बड़ी कार्रवाई में अहम सफलता मिली है। इन फर्जी कारोबारियों ने एआई से छेड़छाड़ किए गए डॉक्यूमेंट जैसे बिजली के बिल, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट डीड, सहमति पत्र और मोबाइल नंबर अपलोड कर बिना पहचान उजागर किए जीएसटीआईएन रजिस्ट्रेशन हासिल कर लिया था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन ई-स्टैंप पेपर का इस्तेमाल असली प्रोफेशनल्स—जैसे शिक्षक, सरकारी कर्मचारी और डॉक्टर—ने अपने रेंट डीड के लिए किया था, उन्हें एआई से एडिट करके इन फर्जी टैक्सपेयर्स ने अपने व्यापारिक मकसद के लिए उपयोग किया। जांच में पता चला कि जिन मकान मालिकों के दस्तावेज इस्तेमाल हुए, उन्हें पिछले छह महीनों में उनके पते पर करोड़ों के बिजनेस टर्नओवर की कोई जानकारी नहीं थी।
इसके अलावा आधार कार्ड और मोबाइल नंबर भी सफाई कर्मचारियों, माली और घरेलू नौकरों के पाए गए, जिन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि उनके नाम पर इतना बड़ा कारोबार दिखाया जा रहा है। पकड़े गए 9 फर्जी टैक्सपेयर्स में से 5 शिमला जिले, 3 सोलन और 1 ऊना जिले से जुड़े मिले। ये सभी तेलंगाना, राजस्थान और कर्नाटक के बैंक खातों का इस्तेमाल कर कारोबार कर रहे थे, जबकि उनकी करीब 90 फीसदी बिक्री हिमाचल से इन राज्यों को दिखाई गई थी।
विभाग की जांच में सामने आया कि इन 9 फर्जी करदाताओं ने 941.39 करोड़ रुपए का धोखाधड़ी वाला व्यापार किया, जिससे 170 करोड़ रुपए के जीएसटी की चोरी हुई। विभाग ने कार्रवाई करते हुए सभी के जीएसटीआईएन तुरंत रद्द कर दिए हैं। इनमें से कुछ फर्जी कारोबारियों का नेटवर्क शिमला और सोलन के अंदरूनी इलाकों के साथ-साथ ऊना के हरोली इलाके तक जुड़ा मिला है।
फर्जी टैक्सपेयर्स के आईटीसी क्रेडिट को भी ब्लॉक कर दिया गया है। विभाग ने आम जनता को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे अपने बिजली बिल, आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट डीड, सहमति डॉक्यूमेंट, मोबाइल नंबर और ई-स्टैंप पेपर सुरक्षित रखें, क्योंकि इनके गलत हाथों में जाने से फर्जी बिलिंग और फर्जी रजिस्ट्रेशन जैसे अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं।
सभी मंडलाधिकारी, एएसटीईओ और एसटीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी नए आवेदक को जीएसटीआईएन देने से पहले उसकी पहचान और वास्तविकता की पूरी जांच की जाए। संयुक्त आयुक्त जीएसटी विंग दक्षिण क्षेत्र, परवाणू जीडी ठाकुर ने कहा कि विभाग की विभिन्न टीमों और आईटी स्टाफ ने इस बड़े घोटाले का खुलासा कर सराहनीय काम किया है। उन्होंने यह भी बताया कि 170 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को रोककर बड़ी राजस्व हानि बचाई गई है। ऐसी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।
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