देश की ‘वंडर गर्ल’ के रूप में पहचानी जाने वाली काशवी ने मात्र 11 वर्ष की आयु में सीबीएसई बोर्ड की दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। काशवी देश की पहली छात्रा बनी हैं जिन्होंने इतनी कम उम्र में यह परीक्षा पास की है। सीबीएसई द्वारा घोषित परिणामों में काशवी ने कुल 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। उन्होंने अंग्रेजी में 89, गणित में 93, हिंदी में 88, विज्ञान में 92 और सामाजिक विज्ञान में 82 अंक अर्जित किए हैं।
काशवी का जन्म 12 मार्च 2014 को हुआ था। उन्होंने बाल्यावस्था से ही असाधारण बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया है। मात्र 3 वर्ष की उम्र में ही उन्हें भारत के सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, पड़ोसी देशों, सौरमंडल और अन्य महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी थी। वर्तमान में काशवी जमा एक में नॉन-मेडिकल विषयों के साथ अध्ययनरत हैं।
काशवी की बौद्धिक क्षमता की पुष्टि वर्ष 2021 में हुए बीकेटी (बिनट कामट टेस्ट) के माध्यम से हुई थी। उस समय काशवी की आयु केवल 7 वर्ष थी, लेकिन उनका आईक्यू स्कोर 154 पाया गया, जो मानसिक स्तर पर 13 वर्ष की उम्र के बच्चे के बराबर था। विशेषज्ञों के अनुसार, करोड़ों में केवल कुछ ही बच्चों का आईक्यू स्तर 147 से ऊपर होता है, जबकि काशवी इससे भी अधिक स्तर पर पहुंच चुकी हैं। धर्मशाला स्थित क्षेत्रीय चिकित्सालय में हुई जांच के आधार पर उन्हें ‘जीनियस चाइल्ड’ की श्रेणी में रखा गया है। यह वही आईक्यू स्तर है, जो महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का भी माना जाता है।
लॉकडाउन के दौरान काशवी की असाधारण प्रतिभा और भी स्पष्ट हुई। घर पर रहते हुए उन्होंने न केवल तीसरी कक्षा की पढ़ाई पूरी की, बल्कि चौथी और पांचवीं कक्षा के पाठ्यक्रम भी स्वयं पढ़कर समाप्त कर दिए। इसके बाद उन्होंने लगातार अगली कक्षाओं की पढ़ाई जारी रखी। जब काशवी 7 वर्ष की थीं, तब उन्होंने आठवीं कक्षा की परीक्षा देने की इच्छा जताई, परंतु नियमों के अनुसार न्यूनतम आयु 12 वर्ष होने के कारण उन्हें रोका गया। इसके बाद उनके परिजनों ने न्यायालय का रुख किया। आदेश मिलने के बाद विशेषज्ञों की देखरेख में उनका परीक्षण किया गया और उन्हें आठवीं कक्षा में प्रवेश की अनुमति दी गई। काशवी ने 9 वर्ष की उम्र में 91.6 प्रतिशत अंकों के साथ आठवीं कक्षा उत्तीर्ण कर यह चुनौती भी सफलतापूर्वक पार कर ली।
आईक्यू स्कोर के अनुसार, 80 से 89 तक का स्कोर औसत से कम माना जाता है और लगभग 15.7% जनसंख्या इसमें आती है। 90 से 110 का स्कोर सामान्य बुद्धिमत्ता को दर्शाता है, जो करीब 51.6% लोगों में देखा जाता है। 111 से 120 के बीच के स्कोर को औसत से ऊपर, और 121 से 130 को ‘गिफ्टेड’ माना जाता है, जिसमें केवल 6.4% जनसंख्या आती है। काशवी का 154 का स्कोर इस श्रेणी से भी ऊपर जाकर उन्हें विलक्षण प्रतिभा की श्रेणी में स्थापित करता है।
काशवी की यह सफलता केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। इतनी कम उम्र में इस स्तर की शैक्षणिक उपलब्धि, उच्च बौद्धिक स्तर और दृढ़ निश्चय, उन्हें भारत की सबसे प्रतिभाशाली छात्राओं में शामिल कर देता है।
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