हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध हालात में हुई मौत के बाद प्रदेश में सियासी माहौल लगातार गरमाता जा रहा है। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, जहां अब विपक्षी दल भाजपा सरकार के खिलाफ पूरी तरह आक्रामक हो गई है। बुधवार को भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के नेतृत्व में राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के प्रदेश प्रभारी श्रीकांत शर्मा, सह प्रभारी संजय टंडन, सांसद और विधायक भी शामिल रहे।
भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत की परिस्थितियों को लेकर चिंता जताई गई और सरकार पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए गए। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन मामले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि सरकार इस मामले में सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रही है, जबकि हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है।
इस मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि यह कोई सामान्य घटना नहीं है। उन्होंने कहा कि एक वरिष्ठ अधिकारी की संदिग्ध मौत से कई सवाल उठते हैं और जनता को सच्चाई जानने का पूरा अधिकार है। उन्होंने सरकार पर गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर सरकार जांच में सहयोग नहीं करती है तो भाजपा आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि भाजपा तब तक शांत नहीं बैठेगी जब तक इस मामले की सच्चाई सामने नहीं आती और दोषियों को सजा नहीं मिलती। उन्होंने यह भी मांग की कि राज्यपाल सरकार से इस विषय में जवाब तलब करें और यह सुनिश्चित करें कि जांच निष्पक्ष रूप से हो और किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।
गौरतलब है कि पावर कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की मौत कुछ दिन पहले रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई थी। प्रारंभिक पुलिस जांच में इसे आत्महत्या करार दिया गया था, लेकिन परिजनों और अन्य संबंधित लोगों ने इस पर संदेह जताया और गहराई से जांच की मांग की। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
इस पूरे मामले ने प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है और भाजपा इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। सरकार की चुप्पी और पुलिस प्रशासन की जांच प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं और यह मांग की है कि मुख्यमंत्री नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा दें। भाजपा का कहना है कि जब तक पूरे मामले की पारदर्शी जांच नहीं हो जाती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, वे चुप नहीं बैठेंगे।
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