ऊना के एक कॉलेज से एमए अंग्रेजी परीक्षा की दो आंसरशीट प्रदेश विश्वविद्यालय में मूल्यांकन के लिए पहुंचने के मामले में सख्त कार्रवाई की गई है। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आंसरशीट जमा करने की प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी हुई, जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित विद्यार्थी का पूरा पेपर रद्द कर दिया है। इसके साथ ही विद्यार्थी को एक वर्ष तक किसी भी परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया है। मामले में कॉलेज का एक क्लर्क भी दोषी पाया गया है, जिसे अब विश्वविद्यालय की किसी भी परीक्षा ड्यूटी में शामिल नहीं किया जाएगा। इस कार्रवाई की जानकारी विश्वविद्यालय ने कॉलेज प्राचार्य को औपचारिक रूप से भेज दी है।
यह परीक्षा जून माह में हुई थी, जिसके बाद अगस्त में ऑन-स्क्रीन मूल्यांकन के दौरान यह विसंगति पकड़ी गई। विश्वविद्यालय की आधुनिक डिजिटल प्रणाली के कारण दो आंसरशीट का मामला तुरंत सामने आ गया। इसके बाद विश्वविद्यालय ने कॉलेज प्रशासन से जांच रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट मिलने के बाद विश्वविद्यालय ने डीन सीडीसी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की, जिसने पूरे प्रकरण की गहन जांच की। समिति ने पुष्टि की कि छात्र के साथ क्लर्क की मिलीभगत से यह गंभीर अनियमितता हुई।
विश्वविद्यालय ने मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए कड़ा कदम उठाया है और भविष्य में भी ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई जारी रखने की बात कही है। कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह ने स्पष्ट किया कि परीक्षा प्रक्रिया की शुचिता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने बताया कि पूरे प्रकरण की रिपोर्ट उच्च शिक्षा निदेशालय को भेज दी गई है, ताकि विभागीय स्तर पर भी आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
उधर, उच्च शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने कहा कि कॉलेज प्राचार्य को इस मामले में FIR दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कर्तव्य पर तैनात क्लर्क का इस तरह की गड़बड़ी में शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। उन्होंने साफ किया कि परीक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।
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