सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर और सिल्ट की समस्या को लेकर जिला प्रशासन एक बड़े कदम की ओर बढ़ रहा है। उपायुक्त अनुपम कश्यप ने सुन्नी में आयोजित विशेष बैठक में बताया कि कोलडैम प्रबंधन की ओर से सिल्ट की स्थिति का पता लगाने के लिए सोनार तकनीक से सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। यह हाई-टेक सर्वे 15 दिसंबर 2025 से शुरू होगा और अगले 15 से 20 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद प्रबंधन की ओर से विस्तृत रिपोर्ट दी जाएगी, जिसके आधार पर भविष्य की रणनीति तय होगी।

उपायुक्त ने कहा कि सुन्नी क्षेत्र में बढ़ते जलस्तर से स्थानीय लोगों के घर, जमीन और कई संस्थानों को खतरा बना हुआ है। इस साल आईटीआई परिसर, विश्राम गृह सुन्नी, गोसदन और कुछ रिहायशी इलाकों में जलभराव और भारी मात्रा में गाद भर गई थी। DC अनुपम कश्यप ने इन सभी स्थानों का मौके पर निरीक्षण भी किया।

उन्होंने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा है। थली पुल की मरम्मत के लिए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए जा चुके हैं और इस महीने कार्य शुरू होगा। आगामी मानसून से पहले मरम्मत पूरी की जाएगी। मौजूदा पुल से तीन मीटर ऊंचाई पर नया सस्पेंशन ब्रिज बनाया जाएगा। पुल क्षतिग्रस्त होने से मंडी-शिमला मार्ग का संपर्क टूट चुका है जिससे लोगों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पूरा मामला सरकार को भेज दी गई रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
बैठक में एडीएम प्रोटोकॉल ज्योति राणा, एसडीएम राजेश वर्मा, एनटीपीसी अधिकारी और अन्य हितधारक मौजूद रहे।

सोनार तकनीक क्यों है जरूरी
सोनार सर्वे एक उन्नत तकनीक है जो ध्वनि तरंगों के माध्यम से पानी के भीतर मौजूद संरचनाओं और सतहों की जानकारी देती है। कम दृश्यता वाले हालात में यह तकनीक बेहद प्रभावी होती है और इसके जरिए नदी तल, पुलों के आसपास जमा मलबा या सिल्ट की सटीक स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

IIT रुड़की की चौंकाने वाली रिपोर्ट
IIT रुड़की ने 2014 से 2024 तक सतलुज नदी की गाद पर विस्तृत अध्ययन किया है। रिपोर्ट के अनुसार 2014 से 2021 तक सिल्ट में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा, लेकिन 2021 के बाद गाद तेजी से बढ़ी है।
• तत्तापानी में सिल्ट 2022 में 7 हेक्टेयर से 2023 में 27 हेक्टेयर हो गई।
• सुन्नी में 2022 में 0.5 हेक्टेयर से 2023 में 10 हेक्टेयर पहुंच गई।
• चाबा में 2022 में 1.7 हेक्टेयर से 2023 में 8 हेक्टेयर हो गई।
रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सुन्नी क्षेत्र की सिल्ट भवन निर्माण के लिए उपयुक्त है और सही तरीके से माइनिंग करने से जलस्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। NTPC ने माइनिंग के लिए NOC देने की हामी भर दी है।

साल दर साल बढ़ रहा नुकसान
लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट बताती है कि कोल डैम बनने के बाद नदी का जलस्तर बढ़ा है और इससे कई नुकसान हुए हैं।
• 2018-19 में चाबा हाइड्रो पावर को बड़ा नुकसान पहुंचा।
• 2023 में चाबा ब्रिज पूरी तरह टूट गया, 15 करोड़ का नुकसान हुआ।
• 2023 में थली ब्रिज को 5 लाख रुपये का नुकसान हुआ और अब इसकी मरम्मत पर 10 करोड़ खर्च होंगे।
रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यदि जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो तत्तापानी, सुन्नी और चाबा कस्बों में PSC कैंटिलीवर ब्रिज तक जलमग्न हो सकता है।
For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!
Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!