राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, कांगू की छात्रा शायना ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी मेहनत और लगन से एक मिसाल कायम की है। उन्होंने 12वीं कक्षा की कला संकाय में 500 में से 472 अंक प्राप्त कर राज्य मेरिट सूची में दसवां स्थान हासिल किया है। साथ ही, जिले स्तर पर वह पांचवें स्थान पर रहीं। उनकी यह सफलता केवल शैक्षणिक नहीं, बल्कि संघर्षों को मात देकर मिली एक बड़ी उपलब्धि है।
शायना के पिता अश्वनी कभी दिल्ली में ट्रक चालक के रूप में काम करते थे। वर्ष 2021 में उन्हें पीठ में तेज़ दर्द हुआ, जिसके बाद जांच में उन्हें कैंसर की तीसरी स्टेज का पता चला। बीमारी की गंभीरता के चलते उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी और पूरा परिवार आर्थिक संकट में आ गया। उस समय शायना आठवीं कक्षा में पढ़ रही थीं। पिता की बीमारी और इलाज ने परिवार को पूरी तरह से हिला कर रख दिया।
इलाज के खर्चों ने परिवार की जमा पूंजी खत्म कर दी। हालांकि मामा-मामी और कुछ अन्य रिश्तेदारों ने मदद की, लेकिन वह स्थायी समाधान नहीं था। आर्थिक तंगी के कारण शायना की बड़ी बहन मीना को स्नातक की पढ़ाई के बाद अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। इन सबके बावजूद शायना ने पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने स्कूल के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यमों से भी पढ़ाई की और पूरे समर्पण के साथ अपनी तैयारी जारी रखी।
शायना की यह सफलता उनकी मेहनत, आत्मविश्वास और परिवार के समर्थन का नतीजा है। उनके पिता अब कुछ हद तक स्वस्थ हैं और परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए उन्होंने ऋण लेकर एक ऑटो रिक्शा खरीदा है। उनकी मां कंचन देवी एक गृहिणी हैं और इस कठिन समय में पूरे परिवार की रीढ़ बनी हुई हैं।
अपनी सफलता का श्रेय शायना अपने माता-पिता और परिवार को देती हैं। उनके मामा सुरेंद्र भट्टी ने उनसे वादा किया था कि यदि वे 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाएंगी, तो वे उनकी आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएंगे। शायना ने न केवल 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, बल्कि मेरिट सूची में स्थान पाकर अपने मामा के वादे को भी पूरा कर दिखाया। शायना का सपना एक आईपीएस अधिकारी बनने का है, और उनके संकल्प और संघर्ष को देखकर यह विश्वास किया जा सकता है कि वह अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगी।
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