हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जुड़ा विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। इसी बीच, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने वीरवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से शिमला में मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को पूरे मामले की वस्तुस्थिति से अवगत करवाया और अपने ऊपर लगे एनएचएआई अधिकारी से मारपीट के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में एनएचएआई के तहत हो रहे निर्माण कार्यों में गंभीर खामियां हैं और कई स्थानों पर जानलेवा तरीके से घटिया निर्माण हो रहा है।
अनिरुद्ध सिंह ने मुख्यमंत्री के समक्ष यह भी स्पष्ट किया कि डंगे जैसे संरचनात्मक निर्माण भी संतोषजनक ढंग से नहीं किए जा रहे हैं। उन्होंने यह आरोप लगाया कि निर्माण कार्यों में लगे कुछ ठेकेदारों के साथ अधिकारियों की मजबूत सांठगांठ चल रही है, जिससे गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और आम जनता को नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाए।
यह उल्लेखनीय है कि जब यह विवाद सामने आया था, उस समय मुख्यमंत्री सुक्खू शिमला से बाहर थे। अब उनके लौटने के बाद मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से उनसे मिलकर अपना पक्ष रखा है। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने श्रम एवं रोजगार विभाग की बैठक में भी भाग लिया। मुख्यमंत्री ने यह संकेत दिए हैं कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे स्वयं उस क्षेत्र का दौरा कर सकते हैं जहां पर एनएचएआई निर्माण कार्य से लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा है।
इस पूरे विवाद पर लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह पहले ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और एनएचएआई के साथ बेहतर समन्वय बनाकर आगे बढ़ने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार विकास कार्यों में गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रही है।
उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के पूर्व प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने इस विवाद को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखा है। उन्होंने आयोग से आग्रह किया है कि वह इस मामले का स्वतः संज्ञान लें और संबंधित मंत्री के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करें। खन्ना ने यह भी आपत्ति जताई कि एक लोक सेवक के खिलाफ अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है, जबकि आरोप गंभीर हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू शुक्रवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक कर सकते हैं। इस बैठक में मौजूदा आर्थिक स्थिति के बीच राज्य कर्मचारियों को डीए (महंगाई भत्ता) देने के विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। इस फैसले से हजारों कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
कुल मिलाकर, एनएचएआई विवाद ने प्रदेश की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है। जहां एक ओर मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और लापरवाही के आरोप लगाए हैं, वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे को मानवाधिकार के स्तर तक पहुंचा दिया है। आने वाले दिनों में इस विवाद का राजनीतिक असर और गहराने की संभावना है।
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