
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की प्रसिद्ध मणिकर्ण घाटी में उस समय हड़कंप मच गया, जब पार्वती नदी के तेज बहाव में दो पर्यटक बह गए। यह हादसा दोपहर करीब पौने दो बजे के आसपास हुआ, जब एनएचपीसी परियोजना से जुड़े डैम से अचानक पानी छोड़ा गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पानी छोड़ने से पहले न तो कोई चेतावनी दी गई और न ही कोई हूटर बजाया गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब डैम से पानी छोड़ा गया, उस समय कसोल क्षेत्र में पांच पर्यटक नदी किनारे बैठे हुए थे। पानी के अचानक बढ़ते स्तर ने उन सभी को अपनी चपेट में ले लिया। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत रेस्क्यू अभियान शुरू किया। बचाव दल की कड़ी मेहनत से तीन पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन दो पर्यटक नदी के तेज बहाव में बह गए।
रेस्क्यू टीम की त्वरित कार्रवाई में एक पर्यटक का शव बरामद कर लिया गया है, जबकि दूसरा अब भी लापता है और उसकी तलाश जारी है। मृतक की पहचान प्रशांत चौरसिया के रूप में हुई है, जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कैलाशपुरी कॉलोनी निवासी थे।
घटना के बाद कुल्लू की उपायुक्त तोरुल एस रवीश ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि डैम प्रबंधन ने सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया और बिना पूर्व सूचना के पानी छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से पहले ही डैम प्रबंधन को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद इस मामले में घोर लापरवाही बरती गई है।
उपायुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि इस लापरवाही के लिए जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, मणिकर्ण थाना प्रभारी संजीव वालिया ने कहा कि डैम से बिना सूचना पानी छोड़ने की घटना को लेकर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
एसपी डॉ. कार्तिकेयन गोकुल चंद्रन ने भी इस घटना को गंभीर मानते हुए कहा कि इसकी पूरी तहकीकात की जा रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इस दुर्घटना ने डैम प्रबंधन की लापरवाही और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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