Home हिमाचल काँगडा Kangra: भीषण गर्मी के बाद तीरों की दस्तक: कांगड़ा की पारंपरिक चेतावनी...

Kangra: भीषण गर्मी के बाद तीरों की दस्तक: कांगड़ा की पारंपरिक चेतावनी और बरसात की भविष्यवाणी

0
9

कांगड़ा जनपद में आषाढ़ माह की संक्रांति से आठ दिन पहले और आठ दिन बाद तक का समय ‘तीर’ कहलाता है। इस बार यह संक्रांति 15 जून को आ रही है, यानी 7 जून से लेकर 23 जून तक का समय ‘तीर’ माना जाएगा। यह एक विशेष मौसमीय अवधि मानी जाती है, जिसमें भीषण गर्मी पड़ती है और जिसे स्थानीय पारंपरिक ज्ञान के अनुसार अनेक संकेतों से जोड़ा जाता है। ‘तीर’ के दिनों में तापमान जितना अधिक होता है, बारिश उतनी ही ज़्यादा और तीव्र होने की संभावना मानी जाती है। हिमाचल प्रदेश में इस समय जो तेज़ गर्मी और हीटवेव देखने को मिल रही है, वह इसी ‘तीर’ काल का हिस्सा है। पारंपरिक स्वदेशी तकनीकी ज्ञान के अनुसार, यदि यह तापमान सामान्य से 3 से 6 डिग्री अधिक है, तो आगामी बरसात भी सामान्य से 15% से 30% तक ज़्यादा हो सकती है।

Advertisement – HIM Live Tv

यह अनुमान वर्षों के अनुभव और स्थानीय प्राकृतिक व्यवहार पर आधारित होता है, जिसे अब भी कई लोग मौसम के पूर्वानुमान में उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पर, आज सुबह जब खिड़की से बाहर देखा गया, तो एक गिलहरी चीड़ के पेड़ की सूखी पत्तियों को अपने मुंह में भरकर किसी ऊंची जगह जमा कर रही थी। वह लगातार एक से डेढ़ घंटे तक ऐसा करती रही। यह प्राकृतिक संकेत है कि बारिश आने वाली है और पशु-पक्षी भी इसके लिए तैयारियां करने लगते हैं।

‘तीर’ के इन दिनों को कांगड़ा में परंपरागत रूप से सफाई के पखवाड़े के रूप में भी देखा जाता था। लोग अपने घरों, गलियों, नालों, कुहलों और रास्तों की साफ-सफाई करते थे ताकि बरसात का पानी अवरोध रहित तरीके से बह सके। यह साफ-सफाई केवल स्वच्छता नहीं बल्कि आपदा से बचाव का भी उपाय मानी जाती थी। यदि पानी रुक गया, तो वह न केवल गंदगी और बीमारियों को जन्म देगा, बल्कि भारी नुकसान भी कर सकता है। आधुनिक विकास की दौड़ में हमने जल निकासी के पारंपरिक तरीकों को या तो बंद कर दिया या पक्के रास्तों और जालियों से ढककर उन्हें अवरुद्ध कर दिया है। यह सोचकर कि इससे सुविधाएं बढ़ेंगी, हमने अनजाने में जल संकट और बाढ़ जैसी आपदाओं को न्योता दे दिया है।

अब जब मानसून की दस्तक कुछ ही दिनों की दूरी पर है, तो इन बचे हुए 11 दिनों में हमें समाज, प्रशासन और पंचायत स्तर पर मिलकर व्यापक तैयारी करनी चाहिए। स्थानीय जल निकासी तंत्र की सफाई, कमजोर इमारतों की मरम्मत और स्कूलों-पंचायत भवनों की छतों की जांच जैसे कार्य तुरंत किए जाने चाहिएं। यदि हम बारिश से पहले यह तैयारियां मिशन मोड में पूरी करते हैं, तो न केवल संभावित आपदा से बच सकते हैं बल्कि इस वर्ष की बारिश को जीवनदायिनी वर्षा के रूप में भी देख सकते हैं। इस दिशा में जनप्रतिनिधियों, अधिकारी वर्ग, सामाजिक कार्यकर्ताओं, महिला मंडलों और युवाओं से विशेष सहयोग की अपेक्षा है ताकि पारंपरिक ज्ञान की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए हम समय रहते सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!

Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!