कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश): हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की ज्वालामुखी तहसील से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। यहां जम्मू के रहने वाले एक व्यक्ति को हिमाचली बोनाफाइड सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है, जबकि वह शख्स स्थानीय नहीं है। हैरानी की बात ये है कि व्यक्ति पिछले 20 सालों से ज्वालाजी में एक किराए के मकान में रह रहा है और उसकी पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई है।
अब जब उसे स्थानीय (हिमाचली) प्रमाण पत्र मिल गया है, तो लोगों में गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया पर बीते दो दिनों से ये मामला तेजी से वायरल हो रहा है, जहां यूज़र्स इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।

स्थानीय लोग बोले – “जमीन नहीं, जड़ नहीं… फिर कैसे बना हिमाचली?”
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस व्यक्ति को सर्टिफिकेट मिला है, उसके पास न तो इलाके में जमीन है, न ही पुश्तैनी जड़ें। उनका आरोप है कि उसका परिवार जम्मू से आकर यहां बस गया और अब प्रशासन ने उसे “हिमाचली” घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि उसे ज्वालामुखी के वार्ड नंबर-4 का निवासी दिखाया गया है। लोगों की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो जिम्मेदार अफसरों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
“सब कुछ नियमों के मुताबिक किया गया है” – तहसीलदार का बयान
मामले पर सफाई देते हुए तहसीलदार ज्वालामुखी राहुल ने कहा कि बोनाफाइड सर्टिफिकेट सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए ही जारी किया गया है। उनके मुताबिक, संबंधित व्यक्ति 20 साल से ज्यादा समय से ज्वालाजी में रह रहा है और उसका जन्म प्रमाण पत्र भी यहीं का है। उसने सभी जरूरी दस्तावेज जमा किए थे, जिनके आधार पर सर्टिफिकेट जारी किया गया।
तहसीलदार ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में सरकार और हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन किया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाने वालों को चेताया है और कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।
जांच के आदेश, अब डीसी कांगड़ा करेंगे अगला फैसला
फिलहाल, मामला एसडीएम ज्वालाजी के संज्ञान में लाया गया है और अगली कार्रवाई के लिए इसे डीसी कांगड़ा को भेजा गया है। अब देखना ये होगा कि जांच के बाद क्या कोई नया मोड़ आता है या प्रशासन के फैसले पर मुहर लगती है।
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