हिमाचल प्रदेश की बैरास्यूल नदी में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। सुंडला में खनन माफिया बेखौफ होकर रोजाना दर्जनों ट्रैक्टरों के जरिए टनों के हिसाब से रेत निकाल रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा रेत और बजरी के खनन पर पूर्ण रूप से रोक लगाने के बावजूद प्रशासन और संबंधित विभाग इस अवैध गतिविधि से बेखबर बने हुए हैं। माफिया नदी के बीचों-बीच और किनारों से रेत निकालकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन नदी किनारे दर्जनों ट्रैक्टर अवैध खनन करते देखे जाते हैं। रेत निकालने से नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को नुकसान पहुंच रहा है और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद खनन माफिया पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।
खनन माफिया ने नदी किनारे ट्रैक्टर और अन्य वाहनों के लिए अस्थायी रास्ते बना लिए हैं, जिससे वे खड्डों और नदी के अंदर तक आसानी से पहुंच पा रहे हैं। स्थानीय निवासियों जितेंद्र, राकेश, पंकज और सुरेंद्र का कहना है कि बड़े पैमाने पर हो रहे इस अवैध खनन से माफिया करोड़ों रुपये कमा रहे हैं। हालांकि, पुलिस ने कुछ टिप्परों पर कार्रवाई की है, लेकिन खनन विभाग समेत अन्य प्रशासनिक विभाग इस पर पूरी तरह से लगाम लगाने में नाकाम रहे हैं।
लोगों का कहना है कि बारिश के मौसम में जब पानी कम होता है, तब माफिया बड़ी मात्रा में रेत जमा कर लेते हैं और जैसे ही पानी बढ़ता है, इसे ऊंचे दामों पर बेचते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस अवैध खनन पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
इस मामले पर जिला खनन अधिकारी जेके पुरी का कहना है कि प्रदेश में रेत खनन की अनुमति बंद है। अगर बैरास्यूल नदी में अवैध खनन हो रहा है, तो इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी और विभागीय कर्मचारियों को मौके पर भेजा जाएगा।
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