Himachal: HRTC का बड़ा फैसला: घाटे वाले रूट बंद होंगे, निजी बसों को मिलेगा मौका

हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम इस समय आर्थिक तंगी और संसाधनों की भारी कमी से जूझ रहा है। लगातार बढ़ते घाटे और बसों की कमी के चलते अब निगम ने कड़े फैसले लेने की तैयारी कर ली है। करोड़ों रुपये के नुकसान से बचने के लिए एचआरटीसी ने घाटे में चल रहे कई रूटों को बंद करने का निर्णय लिया है। निगम की योजना है कि जिन मार्गों पर उसकी बसें बंद की जाएंगी, वहां यात्रियों को परेशानी न हो, इसके लिए सरकार निजी बस ऑपरेटरों को परमिट जारी करेगी। इससे जहां निगम का घाटा कम होगा, वहीं आम लोगों को परिवहन सुविधा भी मिलती रहेगी।

प्रदेश में एचआरटीसी के पास बसों की भारी कमी सामने आई है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार निगम के पास कुल 3,158 बसें हैं, लेकिन इनमें से केवल 2,945 बसें ही सड़कों पर चल रही हैं। तारादेवी डिपो में स्वीकृत बेड़े से 30 बसें कम हैं। इसी तरह ढली डिपो में 23 और रोहड़ू में 20 बसों की कमी दर्ज की गई है, जिससे कई रूट प्रभावित हो रहे हैं।

बसों के साथ-साथ निगम ड्राइवरों की कमी से भी जूझ रहा है। स्वीकृत 4,584 पदों के मुकाबले वर्तमान में केवल 3,852 ड्राइवर ही सेवाएं दे रहे हैं। यानी एचआरटीसी में 732 ड्राइवरों के पद खाली पड़े हैं। रामपुर डिपो की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां 60 ड्राइवरों की कमी है। इसके अलावा ढली में 49, तारादेवी और रोहड़ू में 46-46 ड्राइवरों की कमी दर्ज की गई है। परवाणू और नालागढ़ डिपो भी स्टाफ की किल्लत से प्रभावित हैं।

एचआरटीसी के उपाध्यक्ष अजय वर्मा ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया कि बसों की कमी का एक बड़ा कारण 15 साल से अधिक पुरानी बसों को कंडम घोषित किया जाना है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि ड्राइवरों की कमी को दूर करने के लिए निगम जल्द ही नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करेगा, ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधा मिल सके और सेवाएं सुचारु रूप से चली रहें।

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