Himachal: हिमाचल छात्रवृत्ति घोटाले में बड़ा एक्शन: ईडी ने दो और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल कीं

हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई तेज कर दी है। ईडी ने इस मामले में विशेष अदालत में दो और सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की हैं। ईडी शिमला ने ये शिकायतें शिमला स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में दर्ज करवाई हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, इन मामलों में करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति राशि की कथित धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

ईडी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक तीसरी सप्लीमेंट्री प्रोसिक्यूशन शिकायत 22 अगस्त 2025 को आईसीएल हाईटैक एजुकेशनल सोसायटी, इसके संचालक संजीव कुमार प्रभाकर और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई थी। यह सोसायटी हरियाणा में आईसीएल ग्रुप ऑफ कॉलेजेज का संचालन करती है। जांच में सामने आया है कि संस्था ने छात्रवृत्ति की राशि हासिल करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल रही।

वहीं चौथी सप्लीमेंट्री प्रोसिक्यूशन शिकायत 17 दिसंबर 2025 को देव भूमि एजुकेशनल ट्रस्ट, इसके प्रमुख भूपिंदर कुमार शर्मा और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई है। यह ट्रस्ट हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में देव भूमि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स का संचालन करता था। ईडी के मुताबिक इस ट्रस्ट की भूमिका भी छात्रवृत्ति घोटाले में सामने आई है।

ईडी ने यह जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो शिमला द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। यह एफआईआर उच्च शिक्षा निदेशालय शिमला के तहत चल रही पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के वितरण में भारी अनियमितताओं को लेकर दर्ज की गई थी।

जांच में खुलासा हुआ है कि कई शिक्षण संस्थानों ने ऐसे छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति की राशि हासिल की, जो या तो इन संस्थानों में दाखिल ही नहीं थे या पढ़ाई बीच में छोड़ चुके थे। अधिक राशि पाने के लिए एचपी ई-पास पोर्टल पर छात्रों के कोर्स बदलना, जाति श्रेणी में हेरफेर करना और डे स्कॉलर छात्रों को हॉस्टलर दिखाने जैसे फर्जी तरीके अपनाए गए।

ईडी के अनुसार इस तरह से हासिल की गई अवैध राशि का इस्तेमाल चल और अचल संपत्तियां खरीदने में किया गया। इनमें आरोपियों और उनके परिजनों के नाम पर ली गई संपत्तियां भी शामिल हैं। इससे पहले पीएमएलए 2002 के तहत की गई तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए थे, करीब 80 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे और लगभग 3.30 करोड़ रुपये के बैंक खातों और एफडी को फ्रीज किया गया था।

अब तक ईडी करीब 30.5 करोड़ रुपये मूल्य की चल और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क कर चुकी है। इस घोटाले में अब तक छह लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। ईडी ने साफ किया है कि मामले की जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।

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