Kangra: माता-पिता का सहारा छूटा तो बनी सरकार अभिभावक, सुखआश्रय योजना से बदली हजारों बच्चों की ज़िंदगी

हिमाचल प्रदेश अपनी मानवीय सोच, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए देशभर में पहचाना जाता है। प्रदेश सरकार की कई जनकल्याणकारी योजनाओं में मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना एक ऐसी पहल के रूप में उभरी है, जिसने संवेदनशील शासन और सामाजिक उत्तरदायित्व का उदाहरण पेश किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई यह योजना उन बच्चों और युवाओं के लिए आशा की किरण बनी है, जिन्होंने जीवन के शुरुआती दौर में ही माता-पिता या पारिवारिक सहारा खो दिया।

मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना का उद्देश्य है कि प्रदेश का कोई भी अनाथ, निराश्रित या बेसहारा बच्चा खुद को अकेला या असुरक्षित महसूस न करे। इस योजना के तहत राज्य सरकार बच्चों को केवल आर्थिक सहायता ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जीवन सहारा प्रदान कर रही है। सुरक्षित आवास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, रोजगार प्रशिक्षण और आत्मनिर्भर बनने के अवसर इस योजना की प्रमुख विशेषताएं हैं। यह योजना एक पारंपरिक सामाजिक सुरक्षा योजना से आगे बढ़कर बच्चों के संपूर्ण जीवन-पथ में सरकार की सक्रिय भागीदारी को दर्शाती है।

योजना के अंतर्गत जिन बच्चों के पास पारिवारिक सहारा नहीं है, उनके लिए सुखआश्रय गृह स्थापित किए गए हैं, जहां भोजन, वस्त्र, शिक्षा और देखभाल की पूरी व्यवस्था है। बच्चों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए प्रशिक्षित केयरटेकर और काउंसलर भी तैनात किए गए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक पूरा खर्च वहन कर रही है। मेडिकल, इंजीनियरिंग, नर्सिंग, आईटीआई, पॉलिटेक्निक और विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई के लिए भी आर्थिक सहायता दी जा रही है।

युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। योजना के तहत बालिकाओं के विवाह के समय आर्थिक सहायता, स्थायी रोजगार या स्वरोजगार के लिए मार्गदर्शन और जरूरत पड़ने पर ऋण सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। इस योजना का लाभ अनाथ और निराश्रित बच्चों, कमजोर आर्थिक स्थिति वाले सिंगल पेरेंट के बच्चों, बाल गृह या पालक गृह में पले-बढ़े बच्चों, परित्यक्त और सड़क पर रहने वाले बच्चों तथा बाल कल्याण समिति द्वारा चिन्हित युवाओं को दिया जा रहा है।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी का व्यक्तिगत सुखआश्रय कार्ड बनाया गया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और वित्तीय सहायता का पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है। इसके लिए मुख्यमंत्री सुखआश्रय कोष भी बनाया गया है, जिसमें सरकारी सहायता के साथ-साथ समाज के सक्षम लोगों का स्वैच्छिक योगदान भी लिया जा रहा है।

उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा के अनुसार मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना वेलफेयर स्टेट की उत्कृष्ट सोच को साकार करती है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की कोई आवाज नहीं होती, सरकार उनके लिए खुद अभिभावक की भूमिका निभा रही है। शिक्षा, कौशल विकास, गृह निर्माण, विवाह सहायता, जेब खर्च और त्योहार मनाने जैसी सभी जरूरतों का दायित्व सरकार ने उठाया है। इसी कारण इन बच्चों को “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” का विशेष दर्जा दिया गया है। कांगड़ा जिले में योजना के तहत सभी पात्र बच्चों को उनकी जरूरत के अनुसार सहयोग दिया जा रहा है। ज्वालामुखी के लुथान क्षेत्र में बच्चों और बुजुर्गों के लिए एक इंटीग्रेटेड कॉम्प्लेक्स भी विकसित किया जा रहा है, ताकि परिवार जैसा सुरक्षित माहौल मिल सके।

जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि सुखआश्रय योजना के तहत निराश्रित बच्चों की शादी के लिए 2 लाख रुपये की सहायता का प्रावधान है। कांगड़ा जिले में अब तक 80 बच्चों को 1 करोड़ 58 लाख 98 हजार रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। इस वित्त वर्ष में 18 वर्ष तक के 5424 बच्चों को 6 करोड़ 32 लाख 90 हजार रुपये और 18 से 27 वर्ष के 275 युवाओं को 18 लाख 85 हजार रुपये की सहायता दी गई है। गृह निर्माण के लिए 124 बच्चों को 1 करोड़ 24 लाख रुपये, जबकि सामाजिक सुरक्षा के तहत 751 बच्चों को 4 हजार रुपये मासिक सहायता दी जा रही है।

उच्च शिक्षा, व्यवसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास के लिए 18 से 27 वर्ष आयु वर्ग के 158 बच्चों को 41 लाख 88 हजार रुपये की राशि जारी की गई है। जमा दो पास निराश्रित बच्चों को कोचिंग के लिए एक लाख रुपये तक की सहायता और स्किल डेवलपमेंट व हॉस्टल खर्च सरकार वहन कर रही है। साथ ही, भूमिहीन अनाथ बच्चों को भूमि और तीन लाख रुपये तक का गृह अनुदान देने का भी प्रावधान है। इस वित्त वर्ष में योजना के लिए 8 करोड़ 31 लाख 9 हजार रुपये का बजट तय किया गया है, जिसमें से 6 करोड़ 16 लाख 41 हजार रुपये खर्च किए जा चुके हैं।

योजना से जुड़े लाभार्थियों की कहानियां इसकी सफलता को साफ दिखाती हैं। देहरा की कनिका, जो बहारा विश्वविद्यालय से बीटेक कर रही हैं, बताती हैं कि आर्थिक तंगी के कारण उनका सपना अधूरा रह सकता था, लेकिन सुखआश्रय योजना ने उन्हें नई जिंदगी दी। पालमपुर की पायल राणा को घर बनाने के लिए सहायता मिली, वहीं पालमपुर की नेहा कुमारी को विवाह के लिए दो लाख रुपये मिले। बैजनाथ के अभिनव को भी गृह निर्माण हेतु आर्थिक सहयोग दिया गया।

मुख्यमंत्री सुखआश्रय योजना ने साबित किया है कि विकास केवल इमारतों और सड़कों तक सीमित नहीं, बल्कि करुणा, सुरक्षा और सम्मान से भरे जीवन की नींव रखने का नाम है। यह योजना हिमाचल प्रदेश की मानवता-प्रधान शासन प्रणाली की सशक्त पहचान बन चुकी है।

For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!

Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!