हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पोल्ट्री फार्म को लेकर एक अहम फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी आकार का पोल्ट्री फार्म आवासीय क्षेत्र से कम से कम 500 मीटर की दूरी पर ही स्थापित किया जाए। अदालत ने कहा है कि इसका उद्देश्य लोगों को बदबू, स्वास्थ्य जोखिम और अन्य संभावित खतरों से बचाना है। कोर्ट ने सरकार की मौजूदा नीति का अवलोकन करने के बाद कहा कि पोल्ट्री फार्म के स्थान से जुड़े मानदंडों को इसी आदेश के अनुसार पढ़ा और लागू किया जाना चाहिए।
न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने चमन लाल निवासी पथियार छठ, तहसील ज्वाली, जिला कांगड़ा द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किए। कोर्ट ने साफ कहा कि पोल्ट्री फार्म के लिए दूरी का नियम पक्षियों की संख्या से अलग रखा जाना चाहिए। अदालत ने तर्क दिया कि यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि 5000 पक्षियों वाला पोल्ट्री फार्म तो आवासीय क्षेत्र से 500 मीटर दूर हो, लेकिन 4998 या 4999 पक्षियों वाला फार्म रिहायशी इलाके के बीच में चल सकता है।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिए कि निजी प्रतिवादी सतपाल सिंह, निवासी गांव पथियार (छठ), डाकघर बेही पथियार, तहसील ज्वाली, जिला कांगड़ा को अपना मौजूदा पोल्ट्री फार्म तुरंत बंद करना होगा। यदि वह पोल्ट्री फार्म का संचालन जारी रखना चाहता है, तो उसे कानून के अनुसार आवासीय क्षेत्र से 500 मीटर दूर नया पोल्ट्री फार्म स्थापित करना होगा। इसके साथ ही अदालत ने मौजूदा पक्षियों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए 30 दिन का समय भी दिया है।
हाईकोर्ट के इस फैसले को रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि इससे स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय हो गए हैं।
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