Himachal: हिमाचल में धरा गया नशा जाल! पंजाब के तीन तस्कर 6 लाख की हैरोइन के साथ गिरफ्तार

झंडूता विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव कलोल निवासी 62 वर्षीय सुखदेव पुत्र भागू राम ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु की मांग की है। उन्होंने बताया कि उनका जीवन अब नर्क बन गया है। उनका शरीर पूरी तरह जवाब दे चुका है और आज तक कोई भी सरकारी योजना उन तक नहीं पहुंची। उन्होंने बताया कि उन्होंने लोगों और जन प्रतिनिधियों से कई बार सहायता की गुहार लगाई, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली, जिससे अब उन्हें किसी से कोई उम्मीद नहीं है और न ही जीने की इच्छा बची है।

सुखदेव ने बताया कि करीब 32 साल पहले उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उनके दो बेटियां और एक बेटा है। वह पहले शादियों में बाजा बजाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन चार साल पहले जुखाला में एक जीप हादसे में उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। इस दुर्घटना में उनकी दोनों टांगें बेकार हो गईं। डॉक्टर ने उनका इलाज किया, लेकिन अब वह न ठीक से बैठ सकते हैं और न ही आराम से लेट सकते हैं।

सुखदेव ने बताया कि उनका बेटा मजदूरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा कर रहा है और ऐसे में उस पर निर्भर रहना भी कठिन है। उनका शरीर काम नहीं करता, इसलिए वे खाना खाने में भी असमर्थ हैं। घुमारवीं में लोगों से मदद के रूप में 2 या 5 रुपये मांगने पहुंचे सुखदेव ने बताया कि नेहा समाज सेवा संस्था के प्रबंधक पवन बरूर उन्हें 1000 रुपये मासिक सहायता राशि देते थे, लेकिन वह भी कुछ समय से बंद हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि एक बार उनके गांव में मेडिकल कैंप लगा था जिसमें दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे, लेकिन उनकी बात डॉक्टर ने नहीं सुनी और वह इस सुविधा से भी वंचित रह गए।

ग्राम पंचायत कलोल के प्रधान राजकुमार ने बताया कि सुखदेव को आज तक कोई सरकारी सुविधा नहीं मिली है, जबकि वह इन योजनाओं के पात्र हैं। गांव में लगाए गए एक चिकित्सा शिविर में दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए गए थे, लेकिन सुखदेव का प्रमाण पत्र नहीं बन पाया। उन्हें कोई पेंशन भी नहीं मिल रही है जिससे उनका गुजारा हो सके। हालांकि अब उन्होंने उन्हें IRDP योजना में शामिल करने के लिए आवेदन किया है।

ग्राम पंचायत सचिव प्रेमलाल ने पुष्टि की कि सुखदेव एक अत्यंत गरीब परिवार से हैं और उन्हें किसी भी सामाजिक सुरक्षा पेंशन या सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। अब उनका नाम IRDP चयन के लिए भेजा गया है और शीघ्र ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

नेहा मानव सेवा संस्था के प्रबंधक पवन बरूर ने बताया कि मार्च माह तक संस्था द्वारा सुखदेव को 1000 रुपये प्रतिमाह की सहायता दी गई थी। वर्तमान में संस्था पात्र परिवारों के दस्तावेजों की जांच कर रही है, ताकि योग्य लोगों को दोबारा सहायता दी जा सके।

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