हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही पर कड़ा कदम उठाते हुए चार डॉक्टरों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। शिमला के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल चमियाणा और IGMC में तैनात इन डॉक्टरों पर लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का आरोप था। स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी की ओर से जारी आदेशों के बाद इन डॉक्टरों की सेवाएं तुरंत प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं।
सरकार ने साफ किया है कि ये डॉक्टर बिना जानकारी और अनुमति के ड्यूटी से गायब रहे और अब वे दोबारा से अपने पद पर नियुक्ति या बहाली का दावा भी नहीं कर सकेंगे। जिन डॉक्टरों पर कार्रवाई हुई है, उनमें IGMC के पीडियाट्रिक्स विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार, चमियाणा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तुषार पटियाल, सीटीवीएस विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विकास कुमार और कार्डियोलॉजी विभाग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुणाल महाजन शामिल हैं।
सबसे ज्यादा चर्चा डॉ. विकास कुमार के मामले की हो रही है। चामियाणा के सीटीवीएस विभाग में तैनात रहे विकास कुमार 31 जुलाई 2022 से बिना अनुमति ड्यूटी से अनुपस्थित थे। उन्होंने 1 जुलाई 2022 को सरकार को आवेदन दिया था कि उनका चयन एम्स बिलासपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर हो गया है, इसलिए उन्हें रिलीव कर एनओसी दी जाए। लेकिन इसके बाद उन्होंने ड्यूटी पर लौटना बंद कर दिया और बिना अनुमति एम्स बिलासपुर में जॉइन कर लिया।
डॉ. विकास की नियुक्ति 26 अप्रैल 2022 को हुई थी और उन्होंने मात्र 2 महीने 22 दिन ही नौकरी की। लगातार अनुपस्थित रहने पर सरकार ने 5 अगस्त 2025 को उन्हें शो-कॉज नोटिस भेजा, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं माना गया। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि डॉक्टर की अनुपस्थिति से विभाग की शैक्षणिक गतिविधियां, मरीजों की सेवाएं और छात्रों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई। इसी आधार पर उनकी सेवाएं 31 जुलाई 2022 से ही समाप्त मानी गई हैं।
सरकार का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और भविष्य में भी ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
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