Himachal: हिमाचल में शिक्षा क्रांति: 87,000 छात्रों को ₹92 करोड़ की छात्रवृत्ति से मिला संबल

पिछले ढाई वर्षों में हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से अब तक 87,000 से अधिक छात्रों को लगभग ₹92 करोड़ की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर उपलब्ध कराना है।

मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत वंचित वर्गों के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। इस योजना का लाभ उठाकर कई छात्र सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा और राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC) जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने में सफल रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार का यह प्रयास केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में भी सहायक है।

पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति के 22,500 से अधिक विद्यार्थियों को ₹40.49 करोड़ की सहायता दी गई है। इसके अतिरिक्त दिव्यांग विद्यार्थियों को भी छात्रवृत्ति का लाभ प्रदान किया जा रहा है, ताकि समावेशी शिक्षा की दिशा में राज्य का लक्ष्य पूरा हो सके।

जनवरी 2025 में जारी शिक्षा की वार्षिक रिपोर्ट में हिमाचल प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति करते हुए पढ़ने और सीखने के स्तर में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया है, जबकि पहले यह राज्य 21वें स्थान पर था। इस प्रगति में प्रधानमंत्री श्री योजना (पीएम श्री) की सफलता ने अहम भूमिका निभाई है, जिसमें प्रदेश ने केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि का शत-प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित किया है।

राज्य सरकार ने अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा की शुरुआत पहली कक्षा से करने के अपने वादे को भी पूरा किया है। इसी उद्देश्य को लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं। इन स्कूलों के माध्यम से बच्चों को वैश्विक स्तर की शिक्षा देने की दिशा में राज्य ने ठोस कदम बढ़ाए हैं।

शिक्षा में धन की कमी कोई बाधा न बने, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने डॉ. वाईएस परमार विद्यार्थी ऋण योजना की शुरुआत की है। इस योजना का दायरा अब और विस्तारित कर दिया गया है, जिससे विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक विद्यार्थी भी इसका लाभ उठा सकेंगे।

इसके साथ ही, सरकार ने मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना की शुरुआत भी की है, जो विधवा, निराश्रित और तलाकशुदा महिलाओं के बच्चों तथा दिव्यांग माता-पिता के बच्चों के लिए शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से ऐसे बच्चों की शिक्षा और समग्र कल्याण को सुनिश्चित किया जा रहा है।

इन सभी पहलों के माध्यम से हिमाचल प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में न केवल सामाजिक समानता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि यह भी सिद्ध कर रहा है कि सही नीतियों और समयबद्ध क्रियान्वयन से व्यापक सामाजिक परिवर्तन संभव है।

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