Kangra: हिमाचल में पहली बार: सीएम और मंत्री विधानसभा सत्र छोड़ सड़क पर उतरे, भाजपा ने कांग्रेस सरकार को घेरा

हिमाचल प्रदेश की सियासत में शनिवार को बड़े आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने दावा किया कि राज्य के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब मुख्यमंत्री, मंत्री और सत्ता पक्ष के विधायक अपनी ही सरकार द्वारा आयोजित विधानसभा सत्र को छोड़कर धरने पर बैठ गए। उन्होंने इस स्थिति को लोकतांत्रिक परंपराओं के लिए “दुर्भाग्यपूर्ण” और “संवैधानिक व्यवस्था पर संकट” बताया।

डॉ. बिंदल ने कहा कि कांग्रेस सरकार का विधानसभा परिसर में तख्तियां लेकर धरना देना और मंत्री-मंडल का सड़क पर नारेबाजी करना इस बात का प्रमाण है कि शासन व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है। उनके अनुसार, “सत्ता चलाने वाले जब खुद सड़क पर उतर आएं, तो यह साफ संदेश है कि सरकार प्रदेश चलाने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2022 में जनता ने कांग्रेस को भरोसा देकर जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उसका कांग्रेस ने “झूठ और फरेब के आधार पर दुरुपयोग किया।” उनका कहना है कि तीन साल में प्रदेश आर्थिक और प्रशासनिक रूप से डूब गया है। “हजारों वरिष्ठ नागरिक अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतर रहे हैं, और उसी समय सरकार भी सड़कों पर नारे लगा रही है—यह विडंबना है।”

“कांग्रेस अपना अस्तित्व खो चुकी है” — बिंदल

डॉ. बिंदल ने कहा कि कांग्रेस न केवल भाजपा बल्कि अब RSS को भी “गाली देने में लगी है।” उन्होंने कहा कि देश के विभाजन और हिंसा के लिए जिम्मेदार कांग्रेस आज उन स्वयंसेवकों पर हमला कर रही है जिन्होंने हमेशा जनता की सेवा की है। उनके अनुसार, “कांग्रेस के पाप का घड़ा भर चुका है, और पूरे देश में इसका सफाया तय है।”

“तीन साल में 45 हजार करोड़ का कर्ज”

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार ने 3 वर्षों में 45 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया, जबकि 50 से अधिक चेयरमैन और वाइस चेयरमैन की नियुक्तियां कर माफिया को संरक्षण दिया। उन्होंने चुनौती दी कि अगर सरकार को नारे लगाने का इतना ही शौक है तो सत्ता छोड़ दे—“जनता खुद राज्य चला लेगी।”

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