Shimla: हाईकोर्ट सख्त: आदेशों की अनदेखी पर बागवानी विभाग के प्रधान सचिव पर 5 लाख का जुर्माना

प्रदेश हाईकोर्ट ने न्यायिक आदेशों की अवहेलना को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार के बागवानी विभाग के प्रधान सचिव पर 5 लाख रुपये की कॉस्ट लगाई है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद यह सख्त आदेश पारित किए। अदालत ने साफ किया कि न्यायिक आदेशों का पालन सुनिश्चित करना जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी थी, उनसे मिलकर इस जुर्माने की राशि की भरपाई करवाई जाएगी।

हाईकोर्ट ने पहले चरण में बागवानी विभाग के प्रधान सचिव को यह राशि अदा करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि जांच पूरी होने के बाद यह राशि उन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से वसूली जाए, जो न्यायिक आदेशों की अवहेलना के लिए जिम्मेदार पाए जाएंगे।

याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार, तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने 31 मार्च 2016 को गेजम राम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे वर्ष 2002 से नियमित करने बाबत निर्णय लेने के आदेश जारी किए थे। अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि विभाग ने याचिकाकर्ता को वर्ष 2006 से तो नियमितीकरण का लाभ दे दिया, लेकिन न्यायिक आदेशों के अनुसार वर्ष 1994 से आठ साल की सेवा पूरी करने के बाद उसे वर्ष 2002 से नियमित करने का लाभ नहीं दिया गया।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक न्यायिक आदेशों की अनुपालना न करना साफ तौर पर अवमानना का मामला बनता है। अदालत ने इसे जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही करार दिया है।

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