धर्मशाला, 13 मई। गर्मी के मौसम में वनों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए कांगड़ा जिला के उपायुक्त हेमराज बेरवा ने पंचायत प्रतिनिधियों से सक्रिय सहयोग की अपील की है। उन्होंने बताया कि सभी पंचायत प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में जंगलों की नियमित निगरानी सुनिश्चित करें ताकि समय रहते आग लगने की किसी भी घटना को रोका जा सके। इस संबंध में प्रशासन की ओर से आधिकारिक आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
उपायुक्त ने क्षेत्रवासियों से भी आग्रह किया है कि वे जंगलों को आग से बचाने के लिए जागरूक रहें और किसी भी प्रकार की आग लगने की घटना की सूचना तुरंत वन विभाग और अग्निशमन विभाग को दें, ताकि समय पर उचित कदम उठाया जा सके और जान-माल के नुकसान से बचाव किया जा सके। उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र में आग लगने से न केवल पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि कई छोटे-बड़े वन्य जीवों की अकाल मृत्यु हो जाती है और उनका प्राकृतिक आवास भी नष्ट हो जाता है।
डीसी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे फील्ड स्तर पर पूरी सजगता बनाए रखें और किसी भी अप्रिय घटना की सूचना मिलते ही तत्काल प्रभावी कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी आग लगने के कारणों के प्रति जागरूक करना बेहद जरूरी है, जिससे ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। जंगलों के आसपास जलती हुई माचिस की तिल्ली या लकड़ी फेंकना, अस्थायी चूल्हे जलाना या खेतों और घरों के पास सूखी घास और कूड़ा जलाना आग का मुख्य कारण बन सकता है, जिससे सावधानी बरतना जरूरी है।
उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग, वन विभाग और अग्निशमन विभाग के बीच समन्वय स्थापित कर आगजनी की घटनाओं को रोका जा सकता है। उन्होंने सभी से अपील की कि जंगलों को आग से सुरक्षित रखने के लिए प्रशासन का सहयोग करें और पर्यावरण की रक्षा में अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
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